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जीएसटी रिटर्न में क्रय सूची अपलोड करने का निर्णय लें वापसजीएसटी रिटर्न में क्रय सूची अपलोड करने का निर्णय लें वापस

जीएसटी रिटर्न में क्रय सूची अपलोड करने का निर्णय लें वापस

कर सलाहकार संघ ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर की मांग

जीएसटी काउंसिल के 10 अप्रैल के परिपत्र के अनुसार जिन करदाताओं ने कंपोजिशन की सुविधा ले रखी है, उन्हें 1 जनवरी से 31 मार्च तक के चौथा रिटर्न के लिए अब क्रय सूची भी अपलोड करना अनिवार्य किया है। इस निर्णय से देश के 15 लाख करदाता प्रभावित होंगे। प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस निर्णय को वापस लेने की मांग की गई है।
कर सलाहकार संघ जिलाध्यक्ष बीएल जैन ने निर्णय को वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री, केंद्रीय वित्त मंत्री एवं जीएसटी काउंसिल को पत्र लिखा है। कंपोजिशन वाले करदाता को रिटर्न समाप्ति के 18 दिवस में जमा कराना अनिवार्य है। इसके बाद 50 रुपये प्रतिदिन से जुर्माने का भुगतान करना होता है। अब शेष 5 दिवस में छोटे करदाताओं के लिए 3 माह की क्रय सूची जिसमें बिल नंबर, दिनांक, विक्रेता का नाम व उसका जीएसटीएन के साथ अलग-अलग दरों से क्रय किए गए मालों की सूची अपलोड करना संभव नहीं है। छोटे करदाताओं की 3 माह में 200 से 300 बिलों की आमद होती है। उसकी पूरी जानकारी अपलोड कर पाना संभव नहीं है। सूची अपलोड करने के बाद भी कंपोजिशन करदाता को इनपुट टैक्स रीबेट नहीं मिलेगा। फिर ऐसी सूची अपलोड करवाने का कोई औचित्य ही नहीं है। ऐसे तुगलकी आदेशों से छोटे करदाता इस असमंजस्य में है कि कंपोजिशन का विकल्प लेकर वे अधिक कर की अदायगी भी कर रहे हैं और कागजी खानापूर्ति भी ज्यादा करना पड़ रही है। अभी तक जीएसटी काउंसिल के इस निर्णय से करदाता एवं कर सलाहकार सहित विभागीय अफसरों को भी ऐसे संशोधन की जानकारी ही नहीं है। फिर इसका क्रियान्वयन इतने कम समय मे कैसे होगा यह भी विचारणीय मुद्दा है।

ई-वे बिल के तहत जब्त माल की पेनल्टी यदि 7 दिनों में जमा नहीं कराई तो माल और वाहन दोनों हो जाएंगे राजसात

ई-वे बिल के तहत जब्त माल की पेनल्टी यदि 7 दिनों में जमा नहीं कराई तो माल और वाहन दोनों हो जाएंगे राजसात

इंदौर। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नियमों के विरुद्ध परिवहन किए जा रहे किसी माल को सरकार द्वारा पकड़ा जाता है तो उस माल पर लगी पेनल्टी का भुगतान संबंधित व्यापारी को 7 दिनों में करना होगा। यदि व्यापारी ने ऐसा नहीं किया ताे उसका माल और माल को परिवहन कर रहे वाहन दोनों को राजसात किया जा सकता है। टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन (टीपीए) द्वारा शुक्रवार शाम जीएसटी पर अयाेजित सेमिनार में विशेषज्ञों द्वारा उक्त जानकारी दी गई। व्हाईट चर्च स्थित टीपीए के हॉल में आयोजित इस सेमिनार में वाणिज्यिक कर विभाग के संयुक्त आयुक्त डॉ. आरके शर्मा और कर सलाहकार आरएस गोयल ने ई-वे बिल की पेनल्टी एवं प्रोसीज़र के संबंध में अपने विचार रखे।

टैक्स फ्री वस्तुओं पर भी लगेगी पेनल्टी
वेट एक्ट में कर मुक्त मालों पर किसी प्रकार की कोई पेनल्टी नहीं लगाई जाती थी। किंतु जीएसटी के तहत यदि यह पाया जाता है कि किसी व्यक्ति के द्वारा जीएसटी के नियमों के विरूद्ध कर मुक्त मालों का परिवहन किया जा रहा है, तो ऐसी स्थिति में माल के मूल्य के 2 प्रतिशत या 5 हजार रुपए दोनों में से जो कम हो उतनी पेनल्टी देना होगी। किंतु यदि माल का मालिक सामने नहीं आता है तो ऐसी स्थिति में माल के मूल्य के 5 प्रतिशत या 5 हजार रुपए दोनों में से जो कम हो उतनी पेनल्टी देय होगी।

दूसरे का माल रखने पर भी लग सकता है जुर्माना
जीएसटी एक्ट में यह विशेष प्रावधान लाया गया है कि यदि व्यवसायी के अलावा कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार की कर चोरी में सहयोग करता हैं, अथवा कर चोरी के उद्देश्य से वितरित किए गए जाने वाले माल को रखता हैं या उसके क्रय एवं विक्रय में सहयोग करता है, तो उस व्यक्ति पर भी 25000 रुपए तक की पेनल्टी लगाई जा सकती हैं।

विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारियां
1) वर्तमान में ई-वे बिल प्रणाली केवल मालों के अंतरप्रांतीय परिवहन अर्थात एक राज्य से दूसरे राज्य के लिए लागू की गई हैं । लेकिन राज्य के भीतर मालों की सप्लाई के समय भी भेजे जा रहे माल का बिल होना अनियार्व है, अन्यथा वाहन की जांच के दौरान माल पर देय कर एवं उसके बराबर पेनल्टी की कार्यवाही की जा सकती हैं।

2)जीएसटी के तहत किसी के प्रकार नियमों का उल्लंघन होने पर 10 हजार रुपए अथवा चोरी किए गए टैक्स की राशि के बराबर पेनल्टी लगाई जा सकती हैं। जीएसटी एक्ट के अंतर्गत ऐसी 21 तरह की त्रुटियों का हवाला दिया गया हैं।

3)यदि किसी व्यक्ति के द्वारा सप्लाई किए गए माल पर देय कर जमा नहीं किया गया है या कम जमा किया गया हैं, या इनपुट टैक्स रिबेट का गलत क्लैम ले लिया गया हैं, अथवा गलत रिफण्ड क्लैम कर लिया गया है तो ऐसी स्थिति में 10 हजार रुपए देय कर की राशि के 10 प्रतिशत के बराबर पेनल्टी का भुगतान करना होगा।

4)यदि कोई व्यक्ति केंद्र या राज्य के जीएसटी अधिकारियों द्वारा जारी किए गए नोटिस पर कार्यालय में उपस्थिति नहीं होता है तो इस दशा में उस व्यक्ति पर 25 हजार रुपए तक की पेनल्टी लगाई जा सकती है।

5)जीएसटी के अंतर्गत छोटी-मोटी भूलों/त्रुटियों के लिए किसी भी प्रकार कोई पेनल्टी नहीं लगाए जाने के प्रावधान हैं। यदि जीएसटी के किसी नियम के उल्लंघन के कारण 5 हजार रुपए से कम टैक्स की राशि बनती है तो ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार की कोई पेनल्टी नहीं लगाने का प्रावधान हैं।

ई-वे बिल अनिवार्य करने के बाद हाईवे पर गाड़ियों की जांच

ई-वे बिल अनिवार्य करने के बाद हाईवे पर गाड़ियों की जांच

बांसवाड़ा। 50 हजार से ज्यादा कीमत के अंतरराज्यीय माल परिवहन पर देशभर में वाहनों के साथ ई-वे बिल साथ रखना अनिवार्य करने के बाद अब प्रदेश में एंटीविजन विंग सक्रिय हो गई है। अब तक पूरी तरह पस्त वाणिज्यिक कर विभाग की एंटीविजन विंग की टीमें इन दिनों गुजरात और मध्यप्रदेश सीमा से सटे इलाकों में हाईवे पर वाहनों को रोककर ई-वे बिल चैक रही है।
हालांकि अभी सख्ती दिखलाई नहीं दे रही और ट्रांसपोर्टेशन में ई-वे बिल साथ नहीं होने पर समझाइश कर हाथोंहाथ बिल जरनेट करने का काम ही हो रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में एक आदेश मिलते ही टैक्स और पैनल्टी की वसूली शुरू होने के आसार हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार बिना ई-वे बिल परिवहन पर माल पर लगने वाले टैक्स के साथ टैक्स के बराबर राशि की पैनल्टी लगेगी। टैक्स दस हजार बनता है, तो पैनल्टी भी उतनी ही भरी होगी। यह प्रावधान भी तभी लागू होंगे जब कारोबारी विभाग के सामने आएगा। अगर कारोबारी सात दिन तक सामने नहीं आता है तो टैक्स के साथ माल के कीमत के बराबर पैनल्टी लगेगी। अगर माल की कीमत 1 लाख है और टैक्स 10 हजार है तो ऐसी स्थिति में 1.10 लाख की कुल राशि वसूली जाएगी।
अभी बिना बिल परिवहन पर केवल जनरेट करना सिखा रहे हैं। आगे आदेश आने पर जीएसटी के प्रावधानों के अनुसार टैक्स, पैनल्टी वसूली की कार्रवाई शुरू की जाएगी। – मनीष बक्शी, सहायक आयुक्त जीएसटी स्टेट टैक्स, एंटीविजन विंग बांसवाड़ा

व्यापारियों को इसी महीने फाइल करना होंगे जीएसटी रिटर्न, चूके तो लग जाएगी पेनल्टी

व्यापारियों को इसी महीने फाइल करना होंगे जीएसटी रिटर्न, चूके तो लग जाएगी पेनल्टी

अप्रैल का महीना जीएसटी रिटर्न दाखिल करने वाला महीना रहेगा और पूरे महीने जीएसटी रिटर्न फाइल होंगे। इससे व्यापारी से लेकर कर सलाहकार सभी जीएसटी रिटर्न फाइल करने में व्यस्त रहेंगे। जीएसटी के साथ ही टीडीएस जमा करने की आखिरी तारीख भी 30 अप्रैल है। इससे चूके तो पेनल्टी भरना होगी।
इसके पहले 31 मार्च इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख थी। इससे व्यापारी, कर सलाहकार के साथ ही सीए इनकम टैक्स के रिटर्न दाखिल करने में व्यस्त थे। अब इस महीने जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख है। पूरे महीने में जीएसटी के कई रिटर्न दाखिल होने हैं। इससे सभी इसमें व्यस्त रहेंगे। यह सिलसिला 30 अप्रैल तक चलेगा।

रिटर्न और उनकी आखिरी तारीख
10 अप्रैल- ऐसे डीलर जिनका टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपए से अधिक है उन्हें फरवरी का जीएसटीआर व बिक्री रिटर्न 10 अप्रैल तक जीएसटी की वेबसाइट पर अपलोड करना है। यदि यह तारीख चूके तो 11 अप्रैल से लेट फीस का भुगतान करना होगा।
18 अप्रैल- ऐसे डीलर जिन्होंने जीएसटी में कंपोजीशन की सुविधा ले रखी है उन्हें जनवरी से मार्च तक की अवधि का जीएसटी रिटर्न- फोर 18 अप्रैल तक अपलोड करना है। यदि इस दिनांक तक अपलोड नहीं करते हैं तो लेट फीस का चालान जमा करना होगा। लेट फीस की गणना सिस्टम द्वारा की जाती है।

पूरे महीने व्यस्त रहेंगे कर सलाहकार
कर सलाहकार नीलेश कुशवाहा ने बताया अप्रैल का महीना जीएसटी रिटर्न दाखिल करने वाला रहेगा लेकिन भुगतान की गई राशि पर आयकर टीडीएस जमा करने की भी आखिरी तारीख भी 30 अप्रैल है। मार्च में आयकर रिटर्न में व्यस्त रहने के बाद अप्रैल महीना पूरा जीएसटी में कर सलाहकार व्यस्त रहेंगे।

20 अप्रैल- जीएसटी में पंजीयन सभी डीलर को प्रतिमाह 3 बी रिटर्न दिनांक 20 तक अपलोड कराना आवश्यक है। इसमें खरीद, बिक्री की जानकारी के साथ कर भुगतान करना होता है। अंतिम दिनांक तक 3 बी अपलोड नहीं करने पर लेट फीस भरना होगी। कंपोजीशन डीलर को 3 बी रिटर्न अपलोड करने की आवश्यकता नहीं होगी।
30 अप्रैल- ऐसे डीलर जिनका टर्नओवर 1.5 करोड़ तक है उन्हें जनवरी का जीएसटीआर-1 30 अप्रैल तक अपलोड करना होगा। यह बिक्री रिटर्न है जिसमें डीलर द्वारा बेचे माल की जानकारी दी जाती है। अन्यथा लेट फीस लगेगी।
पुराने जीएसटी नंबर से तैयार हो रहे हैं ई वे बिल
ई वे बिल की प्रक्रिया पर रतलाम ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन ने सवाल खड़े किए हैं। महासचिव प्रदीप छिपानी ने बताया ई वे बिल में कई तरह की दिक्कत है। इससे ट्रांसपोर्टर और व्यापारी परेशान हैं। वाणिज्यिककर विभाग का कहना है कि गलत जीएसटी नंबर से ई वे बिल तैयार नहीं हो सकता है तो अन्य राज्यों से माल आ रहा है वो पुराने जीएसटी नंबर से कैसे आ रहा है। छिपानी ने प्रयास रोडवेज से गलत जीएसटी नंबर से ई वे बिल के जरिए अहमदाबाद से रतलाम माल आने की जानकारी दी थी। जबकि प्रयास रोडवेज का कहना है कि गलत जीएसटी नंबर से ई वे बिल बनने की जानकारी नहीं है। ना ही डिलीवरी के दौरान गलत जीएसटी नंबर से बने ई वे बिल मिले। हम परचून का काम ही नहीं करते हैं।

सेल्स टैक्स अफसरों का छापा, 16 लाख का माल सीज

सेल्स टैक्स अफसरों का छापा, 16 लाख का माल सीज

सेल्स टेक्स अफसरों ने मंगलवार को बहादुरगंज लकड़ी मंडी स्थित श्रीबालाजी लघु उद्योग पर…
सेल्स टेक्स अफसरों ने मंगलवार को बहादुरगंज लकड़ी मंडी स्थित श्रीबालाजी लघु उद्योग पर छापामारा। जहां बिना कागजात के 16 लाख रुपये से अधिक का माल बिकते पाया गया। इस दौरान अधिकारियों को करोबारी कोई हिसाब-किताब नहीं दिखा सका। एडिशनल कमिश्नर एसपी सिंह के नेतृत्व में सेल्स टैक्स के अफसरों के पहुंचते ही दुकानदारों में हड़कंप मच गया। अफसरों ने कारोबारी प्रदीप कुमार गुप्ता से पूछताछ की, लेकिन वह कुछ भी नहीं बता सके। दुकान का एकाउंटेट खरीद और बिक्री से संबंधित हिसाब-किताब नहीं दिखा पाया। कार्रवाई के समय अफसरों ने दुकान पर लोहे के गेट, ग्रिल बनाने का काम होता पाया गया। जबकि कारोबारी की ओर से लोहा, सरिया की खरीद और बिक्री होना दिखाया गया। जिस पर अधिकारियों ने नाराजगी जताई बिना किसी जानकारी के करोबार करने पर कुल कीमत का 36 प्रतिशत टैक्स जमा करने के निर्देश दिए गए। डिप्टी कमिश्नर संजय मिश्रा ने बताया कि दरवाजा व ग्रिल वर्तमान में पचास रुपये किग्रा के हिसाब से बिकता है। लोहा व सरिया की कीमत 35 रुपए किग्रा है। जिस हिसाब से 16 लाख रुपए की कीमत का हेरफेर होते पाया गया है। जिसके हिसाब से कारोबारी को साढ़े पांच लाख रुपए राजस्व में जमा कराने के निर्देश दिए गए है। कार्रवाई करने वाली टीम में डिप्टी कमिश्नर विजय कुमार, वाणिज्यकर अधिकारी राजेंद्र द्विवेदी, एसआईबी बरेली, असिस्टेंट कमिश्नर अजीत सिंह, विशाल सिंह आदि शामिल रहे।

व्यापारिक प्रतिष्ठान पर सेलटैक्स विभाग ने की छापेमारी l

व्यापारिक प्रतिष्ठान पर सेलटैक्स विभाग ने की छापेमारी
उत्तर प्रदेश

चंदौली। वाणिज्यकर (सेल टैक्स) विभाग की टीम ने बुधवार की शाम नगर के पुरानी बाजार स्थित एक व्यापारिक प्रतिष्ठान पर छापेमारी की। इस दौरान खरीद और ब्रिकी से जुड़े अभिलेखों की जांच की और प्रतिष्ठान की ओर से बिक्री प्रदर्शित नहीं किए जाने पर डेढ़ लाख रुपये का अर्थ दंड वसूल किया। विभाग की इस कार्रवाई से व्यापारियों में हड़कंप मच गया। आस-पास के दुकानदार अपनी-अपनी दुकान बंद कर खिसक गए। सेलटैक्स विभाग के डिप्टी कमिश्नर परमानंद वाणिज्यकर अधिकारी अजय पांडेय और संजय कुमार वर्मा पुलिस बल के साथ पुरानी बाजार स्थित स्कूली ड्रेस और स्टेशनरी की ब्रिकी करने वाले प्रतिष्ठान पर जा धमके।
टीम को देखते ही दुकान संचालक के हाथ-पांव फूल गए। विभागीय टीम ने दुकान से जुड़े समस्त अभिलेखों की गहनता से जांच की। संचालक द्वारा पंजीकरण के बाद से खरीद और बिक्री प्रदर्शित नहीं की गई थी। टीम ने दुकान से होने वाली ब्रिकी का आंकलन करते हुए डेढ़ लाख रुपये का अर्थदंड वसूल किया। वहीं छापेमारी की भनक लगते ही कई दुकानदार अपनी दुकानें बंद कर चलते बने। वाणिज्यकरण अधिकारी अजय पांडेय ने बताया कि पंजीयन योग्य सीमा के व्यापारी निर्धारित टैक्स जमा कर व्यापार करें। समय से देयकर की अदायगी करते हुए कसिी भी प्रकार की कार्यवाही से बच सकते हैं। बताया कि प्रपत्रों संग कार्य करें और ई-वे बिल डाउनलोड करते हुए अभिलेखों को जमा करें। कहा कि विभाग की कार्रवाई लगातार जारी रहेगी।

ई-वे बिल सिस्टम: पहली दो कार्रवाई रायपुर में, जितना टैक्स उतना ही लगा जुर्माना

ई-वे बिल सिस्टम: पहली दो कार्रवाई रायपुर में, जितना टैक्स उतना ही लगा जुर्माना

ई-वे बिल सिस्टम की शुरुआत के साथ ही पहली दो कार्रवाइयां रायपुर में की गई हैं। बताया गया है कि राजनांदगांव व दुर्ग की दो फर्मों के मालवाहक ट्रकों को बगैर किसी कागजात के पकड़ा गया है।
यह कार्रवाई केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों की संयुक्त टीम ने की है। बताया गया है कि दोनों मामलों में जितना टैक्स उतने के बराबर जुर्माना भी वसूला गया है। ई-वे बिल मामले में राज्य में की गई यह पहली कार्रवाई है।
बताया गया है कि पहला मामला 1 अप्रैल को ई-वे बिल व्यवस्था लागू होने के दिन ही पकड़ा गया। राजनांदगांव के एक व्यावसायी रजा ट्रेडर्स का माल मोल्डेड फर्नीचर जो हैदराबाद से मंगाया गया था, इसे रायपुर भाठागांव के पास ट्रक समेत पकड़ा गया।
यह माल रायपुर में बेचने के लिए लाया जा रहा था। भाठागांव के पास जांच दल ने वाहन को रोककर जांच की तो पाया कि माल संबंधी कोई दस्तावेज नहीं थे।
इस मामले में रजा ट्रेडर्स के संचालक से 45 हजार रुपए का टैक्स वसूला गया, 45 हजार रुपए बतौर जुर्माना लिया गया।
बगैर इनोवाइस परिवहन पकड़ा गया

दो अप्रैल को जांच दल ने रायपुर चौक के पास एक ट्रक को रोककर जांच की। ट्रक में कृषि में इस्तेमाल किए जाने वाले पाइप लदे थे। जांच में पाया गया कि वाहन में माल परिवहन संबंधी कोई इनोवाइस नहीं है।
बताया गया है कि यह माल दुर्ग की फर्म किसान एग्रोटेक का था। यह माल दुर्ग से आरंग ले जाया जा रहा था। इस मामले में माल के मालिक किसान एग्रोटेक से 78 हजार रुपए का टैक्स व इतनी ही राशि के जुर्माने के साथ 1 लाख 46 हजार रुपए वसूल किए गए।
सूत्रों के अनुसार मामला पकड़े जाने के बाद माल के मालिक ने तुरंत राशि अदा कर दी है।
टीम कर रही है जांच

बताया गया है कि ई-वे बिल की जांच करने के लिए चार अधिकारियों की टीम बनाई गई है। इसमें केंद्र व राज्य जीएसटी से जुड़े अधिकारी शामिल हैं।
ये लोग मालवाहकों की जांच कर रहे हैं। बताया गया है कि प्रदेश में अब तक करीब साढ़े दस हजार व्यवसायियों तथा 314 ट्रांसपोर्टर्स ने ई-वे बिल के लिए पंजीयन कराया है।
पहले दो दिनों में करीब साढ़े सात हजार ई-वे बिल जारी हुए हैं। छत्तीसगढ़ में जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों की संख्या सवा लाख है।
छत्तीसगढ़ में 10 प्रतिशत से कम डीलरों का पंजीयन

छत्तीसगढ़ में जीएसटी के लिए पंजीकृत सवा लाख डीलरों में से केवल साढ़े दस हजार डीलरों ने ई-वे बिल के लिए पंजीयन कराया है। यानी अभी दस प्रतिशत से कम डीलर ही पंजीकृत हैं। बताया गया है कि अभी केवल अंतरराज्यीय परिवहन के लिए ही ई-वे बिल व्यवस्था लागू की गई है।
जल्द ही एक से दूसरे राज्य में माल परिवहन के लिए यह व्यवस्था लागू की जाएगी। ऐसे में दूसरे राज्यों को माल भेजने वाले डीलरों के लिए पंजीयन आवश्यक है। अगर किसी डीलर का माल छत्तीसगढ़ से बगैर जांच के निकल भी गया, तो दूसरे राज्य में पकड़ा जाएगा।
वाणिज्यिक कर विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि नई व्यवस्था में यह आवश्यक भी है कि जितना माल परविहन कराया जा रहा है, उतने का ही ई-वे बिल जनरेट करें। कम मात्रा का बिल बनाने पर भी उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।

वाणिज्यिक कर विभाग का 16 अप्रैल से 31 मई तक अभियान चलाएगा

वाणिज्यिक कर विभाग का 16 अप्रैल से 31 मई तक अभियान चलाएगा

भीलवाड़ा | राज्य बजट की घोषणा के अनुरूप वाणिज्यिक कर विभाग आईटीसी मिसमैच सत्यापन द्वारा बकाया मांग निस्तारण के लिए 16 अप्रैल से 31 मई तक अभियान चलाएगा।
विभाग के संयुक्त आयुक्त गोकुलराम चौधरी ने बताया कि 25 हजार रुपए तक के आईटीसी सत्यापन के लिए विभाग की ओर से निर्धारित फाॅरमेट भरकर क्रय-बिलों की स्वयं सत्यापित प्रतिलिपियों एवं अंडरटेकिंग के साथ मैनुअली या विभागीय साइट पर ऑनलाइन पेश करना होगा। वहीं 25 हजार रुपए से अधिक के आईटीसी प्रकरणों में केवल ऑनलाइन आवेदन विभागीय साइट पर ही पेश करना होगा। 31 मई तक आईटीसी मांगों का निस्तारण नहीं होने पर विभाग की अोर से बकाया मांग की वसूली की जाएगी।
चौधरी ने बताया कि वाणिज्यिक कर विभाग की ओर से 9 से 20 अप्रैल तक जीएसटी रिफंड पखवाड़ा भी चलाया जा रहा है। इसमें मुख्य रूप से एक्सपोर्ट से संबंधित व्यापारियों के रिफंड प्रकरणों का निस्तारण किया जा रहा है।

दूसरे व्यापारी के जीएसटी नंबर से बिल जारी करने वाला बीड़ी व्यापारी गिरफ्तार,राज्य कर आयुक्त ने फर्जीवाड़ा करने वाले व्यापारियों को दी कड़ी चेतावनी

दूसरे व्यापारी के जीएसटी नंबर से बिल जारी करने वाला बीड़ी व्यापारी गिरफ्तार,राज्य कर आयुक्त ने फर्जीवाड़ा करने वाले व्यापारियों को दी कड़ी चेतावनी

रायपुर- चेम्बर ऑफ कॉमर्स की शिकायत पर रायपुर पुलिस ने जीएसटी नंबर में घालमेल करने वाले बीड़ी व्यापारी आकाश राघाटाटे को गिरफ्तार कर लिया है.यह व्यापारी दूसरे व्यापारी के जीएसटी नंबर पर बिलिंग कर बीड़ी का व्यापार करता था,जिसकी शिकायत चेम्बर ने पुलिस के अलावा राज्य कर आयुक्त से की थी.
राज्य-कर आयुक्त ने चेतावनी दी है कि अगर कोई व्यवसायी किसी दूसरे व्यवसायी का जीएसटी नम्बर डालकर बिल जारी करेगा, तो उसके खिलाफ जीएसटी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई की जाएगी।उन्होंने आज यहां बताया कि बीड़ी कारोबार के एक मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ इस प्रकार की कार्रवाई करते हुए उसकी गिरफ्तारी भी की गई है। उन्होंने बताया कि जीएसटी अधिनियम के तहत कर बिल अथवा बीजक जारी करने के लिए सुस्पष्ट और विस्तृत प्रावधान किए गए है। इसके अंतर्गत कर-बीजक में विक्रेता का नाम, जीएसटी में पंजीयन नम्बर, बीजक क्रमांक, तारीख माल का नाम, टैक्स की दर और टैक्स की राशि इत्यादि का उल्लेख होना चाहिए, लेकिन ऐसी शिकायतें आ रही है कि कुछ व्यवसायियों द्वारा कर कर-अपवंचन की मंशा से किसी अन्य व्यक्ति के जीएसटी नम्बर अंकित कर बीजक जारी किए जा रहे हैं। ऐसा करना जीएसटी अधिनियम के तहत अपराध है।
आयुक्त राज्य-कर छत्तीसगढ़ ने सभी ग्राहकों, व्यापारियों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से अपील की है कि ऐसी स्थिति सेे बचने के लिए किसी भी प्रतिष्ठान के जीएसटी नम्बर की पुष्टि www.gst.gov.in में कर ली जाए। सभी पंजीकृत व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के जीएसटी नम्बरों की जानकारी इस वेबसाइट में मिल सकती है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए हेल्प लाइन नम्बर 1800-233-5382 पर सम्पर्क किया जा सकता है। अगर कोई व्यावसायी किसी खरीददार को किसी अन्य व्यवसायी का जीएसटी नम्बर अंकित कर देयक जारी करता है तो उसकी जानकारी भी इस टोल फ्री हेल्पलाइन में दी जा सकती है।

GST रिटर्न नहीं भरने वाले व्यापारी काम-धाम छोड़कर पढ़ें यह खबर, वरना पंजीयन हो जाएगा रद्द

GST रिटर्न नहीं भरने वाले व्यापारी काम-धाम छोड़कर पढ़ें यह खबर, वरना पंजीयन हो जाएगा रद्द

 

रायपुर. GST रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले व्यापारी सरकार के रडार पर हैं। जीएसटी काउंसिल ने केंद्र और राज्यों के टैक्स अधिकारियों को जीएसटी का रिटर्न न भरने वाले व्यापारियों की सूची सौंपी है। टैक्स अधिकारी अब ऐसे व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) और जीएसटीएन ने अब तक दाखिल जीएसटी रिटर्न के आधार पर आंकड़ों का विश्लेषण किया है। जिसमें कई चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं।

पिछले वर्ष 2017 में जीएसटी लागू हुआ था। जीएसटी लागू होने के बाद सरकार के परोक्ष कर राजस्व में अपेक्षानुरूप वृद्धि नहीं हुई है। यही वजह है कि सरकार जीएसटी संग्रह बढ़ाने के लिए टैक्स की चोरी रोकने के लिए कई तरह के उपाय करने में जुटी है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए एक अप्रैल 2018 ई-वे बिल लागू किया जा रहा है।

यहां हुई पंजीयन रद्द करने की कार्रवाई
छत्तीसगढ़ के धमतरी में जीएसटी नम्बर लेने के बाद भी पिछले 6 माह से रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले व्यापारियों का अब पंजीयन रद्द किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार अब तक 50 व्यापारियों का पंजीयन रद्द भी किया जा चुका है। जिले में कुल 6 हजार 863 व्यापारी हैं, जिन्होंने जीएसटी नम्बर ले रखा है। इसमें से 3 हजार 98 व्यापारियों ने तो कंपोजिशन ले रखा है, उन्हें तीन माह रिटर्न भरने की छूट है। जीएसटी पोर्टल में कंपोजिशन रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया काफी आसान है। बचे 3 हजार 765 व्यापारियों में 3 हजार 615 व्यापारी रिटर्न दाखिल कर हैं, लेकिन 150 व्यापारी ऐसे हैं, जिन्होंने एक बार भी रिटर्न दाखिल नहीं किया है। अब इन व्यापारियों का जीएसटी पंजीयन रद्द करना शुरू कर दिया गया है।

नहीं होगी लैबिलिटी खत्म
विभाग द्वारा जिन व्यापारियों का पंजीयन रद्द किया जा रहा है, उनकी लैबलिटी समाप्त नहीं होगी। उन्हें रिटर्न दाखिल करना होगा। यदि व्यापारी खुद समाने आकर अपना पंजीयन रद्द कराते हैं, तो आगामी महीनों में रिटर्न दाखिल करने की जिम्मेदारी से मुक्ति मिल जाएगी। कर सलाहकार गोपाल शर्मा ने बताया कि जिन व्यापारियों को जीएसटी नम्बर की जरूरत नहीं है। उन्हें शीघ्र ही अपना जीएसटी पंजीयन रद्द करवा लेना चाहिए।
व्यापारियोंं की सूची तैयार कर कार्रवाई की जा रही है। रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले व्यापारी अपना पक्ष रख सकते हैं।
रामनरेश चौहान, सेलटेक्स अधिकारी