Archives August 2018

टर्नओवर छिपाकर भी अब नहीं बचा पाएंगे जीएसटी बिजली बिलों से आमदनी का अनुमान

जीएसटी बिजली बिलों से आमदनी का अनुमान

लखनऊ [अमित मिश्र]। कम टर्नओवर दिखाकर जीएसटी से बचने वाले व्यापारियों पर अब वाणिज्य कर विभाग ने शिकंजा कसने की तैयारी ली है। ऐसे व्यापारियों की असल कमाई पता करने के लिए विभाग अब नया पैंतरा आजमाने जा रहा है। इसके लिए एक ओर इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थानों में सप्लाई करने वालों का ब्योरा जुटाया जाएगा तो साथ ही बिजली विभाग से भी कॉमर्शियल कनेक्शनों के बिल भुगतान की जानकारी लेकर इसका मिलान टर्नओवर से किया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फटकार के बाद वाणिज्य कर विभाग प्रदेश में ऐसे व्यापारियों की तलाश में जुट गया है, जिन्होंने 20 लाख रुपये से कम सालाना टर्नओवर दिखाते हुए जीएसटी में पंजीकरण नहीं कराया है, जबकि उनका वास्तविक कारोबार इससे कहीं अधिक है। वाणिज्य कर विभाग के एडीशनल कमिश्नर विवेक कुमार बताते हैैं कि 20 लाख रुपये से कम टर्नओवर का मतलब डेढ़-पौने दो लाख रुपये महीने की बिक्री हुई। इसमें अधिकतम 10 फीसद मार्जिन निकाला जाए तो भी 15 हजार रुपये महीने की आमदनी हुई।

ऐसे में यदि कोई कारोबारी प्रतिमाह औसतन आठ हजार रुपये का बिजली बिल जमा कर रहा है तो उसकी आय को सच नहीं माना जा सकता। इसी तरह विभिन्न संस्थानों में कर्मचारियों के तौर पर मैन पावर सप्लाई करने वाले, सिक्योरिटी सर्विस उपलब्ध कराने वाले या वस्तुओं की सप्लाई करने वालों को लगातार अच्छा भुगतान मिल रहा है, तो उनके 20 लाख रुपये से कम के सालाना टर्नओवर की पोल खुलने में भी देर नहीं लगेगी।

सर्विस सेक्टर पर खास नजर
वस्तुओं के कारोबारियों का टर्नओवर तो वाणिज्य कर विभाग फिर भी बिल व अन्य प्रपत्र देखकर पता लगा लेता है, लेकिन सर्विस सेक्टर के व्यापारियों का टर्नओवर पता लगाना विभाग के लिए आसान नहीं है। इसीलिए सूचनाओं के आधार पर टर्नओवर के अनुमान की तरकीब का प्रयोग खास तौर पर कोचिंग सेंटर, सिक्योरिटी एजेंसी व ऐसे अन्य व्यवसाय पर होगा। जीएसटी के दायरे से बाहर रह गए कारोबारियों में इस वर्ग की संख्या अधिक बताई जा रही है।

एक साल में बढ़े केवल साढ़े छह लाख व्यापारी
एक साल पहले जीएसटी शुरू होने के समय प्रदेश में पंजीकृत व्यापारियों की संख्या करीब सात लाख थी। इन व्यापारियों को जीएसटी में माइग्रेट कराने के अलावा वाणिज्य कर विभाग एक साल में साढ़े छह लाख नए व्यापारियों को ही जीएसटी में शामिल करा पाया है। अब तक हुए 13.50 लाख पंजीकरण को कम बताते हुए मुख्यमंत्री ने 20 लाख का लक्ष्य दिया है।

इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अधिकारियों को और साढ़े छह लाख व्यापारियों का पंजीकरण कराना होगा, लेकिन अब इसके लिए एक साल का समय नहीं मिलेगा। यह लक्ष्य कुछ महीनों में ही हासिल करने की योजना बनाई जा रही है, ताकि फिर 50 लाख पंजीकरण के अगले लक्ष्य के लिए कदम बढ़ाए जा सकें।

इंट्रा स्टेट ई-वे बिल की लिमिट हुई एक लाख, जॉब वर्क को नहीं होगी ई-वे बिल की जरूरत पंजाब कैबिनेट

इंट्रा स्टेट ई-वे बिल की लिमिट हुई एक लाख, जॉब वर्क को नहीं होगी ई-वे बिल की जरूरत

पंजाब कैबिनेट ने सोमवार को ई वे बिल की लिमिट को 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपए और जॉब वर्क पर से ई वे बिल को हटाने संबंधी अपनी मंजूरी दे दी है। पंजाब सरकार अगले दो-तीन दिनों में इस संबंधी नोटिफिकेशन जारी कर देगी। गौर हो कि विभिन्न औद्योगिक संगठन व कारोबारी लगातार पंजाब सरकार व उनके मंत्रियों पर इश्यू को लेकर दबाव बना रहे थे और कारोबारियों के हर मंच पर ये इश्यू हॉट केक बना हुआ था। इस मुद्दे पर दैनिक भास्कर की ओर से भी कारोबारियों की आवाज को लगातार उठाया जा रहा था। पंजाब सरकार की ओर से अभी तक इसकी कोई औपचारिक घोषणा तो नहीं की है, लेकिन इस प्रस्ताव मंजूरी की पुष्टि कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशू, कैबिनेट मंत्री ओपी सोनी व इंडस्ट्री मिनिस्टर सुंदर शाम अरोड़ा ने कर दी है।

कारोबारियों को कागजी कार्रवाई और दिमागी परेशानी से मिलेगी राहत
इंट्रा स्टेट ई वे बिल की लिमिट एक लाख रुपए करने और जॉब वर्क पर ई वे बिल खत्म करने से कारोबारियों को बडी राहत कागजी कार्रवाई से तो मिलेगी ही इसके साथ-साथ एक जगह से दूसरी जगह माल भेजने में जीएसटी विभाग की दबिश का डर भी नहीं रहेगा।

शहर में होजरी का 30 हजार करोड़ से अधिक का कारोबार
शहर में होजरी इंडस्ट्री को एक्सपोर्ट सहित कुल 30 हजार करोड़ से अधिक का कारोबार है। होजरी इंडस्ट्री में जॉब वर्क की अहम भूमिका है। कपड़े को डाई, डिजाइन, प्रिटिंग, कटिंग सहित कई अन्य वर्क के लिए एक इंडस्ट्री से दूसरी इंडस्ट्री भेजा जाता है और 90 फीसदी से अधिक इंडस्ट्री रोजाना इस काम के लिए जॉब वर्क पर ई वे बिल काट कर भेजती हैं। वहीं इंजीनियरिंग इंडस्ट्री में निक्कल, इलेक्ट्रो प्लेटिंग, नट कटिंग, फिनिशिंग व पालिश, पेंट से जुड़ी इंडस्ट्री जॉब वर्क के दायरे में आ रही थी।

इस मुद्दे पर हम तीन बार वित्तमंत्री मनप्रीत बादल से मिले। उन्होंने हमें आश्वासन भी दिया था, लेकिन कैबिनेट की मंजूरी से पक्की मोहर लग गई है। -अजीत लाकड़ा, एमडी सुपर फाइन निटर्स लिमिटेड
पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल को ये जानकारी इंवायरमेंट मिनिस्टर ओपी सोनी ने फोन कर पर देते बताया कि कारोबारियों की ये दोनों मांगें मान ली गई है। -सुनील मेहरा, महासचिव पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल

जॉब वर्क करने वाले खुश: इस आदेश का सबसे बड़ा फायदा ऐसे एक लाख से अधिक लोगों को होगा, जो घरों में ही जॉब वर्क कर रहे थे। ऐसे लोगों को प्रॉफिट तो 50 पैसे से एक रुपए प्रति पीस का था, लेकिन लेखा जोखा लाखों रुपए का रखना पड़ रहा था। अब इस सब की जरूरत नहीं रहेगी।

विस सत्र से पहले सीएम की ओर से कैबिनेट की मीटिंग में इस प्रस्ताव को पास कर दिया गया है। अब दो-तीन दिनों में नोटिफिकेशन भी जारी कर दी जाएगी। –
भारत भूषण आशु, फूड एंड सप्लाई मंत्री

सरकार नहीं देगी ट्विटर पर जीएसटी से संबंधित किसी भी सवाल का जवाब

सरकार नहीं देगी ट्विटर पर जीएसटी से संबंधित किसी भी सवाल का जवाब, इसलिए लिया फैसला

 

केंद्र सरकार ने ट्विटर पर जीएसटी के लिए बनाए गए अकाउंट को बंद करने का निर्णय ले लिया है। अब किसी भी व्यक्ति को सरकार अपने इस अकाउंट पर जीएसटी से संबंधित किसी भी सवाल का जवाब नहीं देगी।

इसलिए खोला गया था अकाउंट

1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने से पहले केंद्र सरकार ने 28 मई 2017 को ट्विटर पर GST@GoI (@askGST_GoI) अकाउंट को खोला था। इसका मकसद लोगों को इस कर कानून के लागू होने के बाद उनकी परेशानियों और समस्याओं को तुरंत दूर करने का था। पिछले एक साल से इस अकाउंट के जरिए लोगों की काफी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया गया था।

1 अगस्त को किया गया आखिरी ट्वीट

इस अकाउंट से आखिरी ट्वीट 1 अगस्त को किया गया था। तब इस पर आम जनता से नए जीएसटी फॉर्म के बारे में राय मांगी गई थी। अब इस अकाउंट से केवल सरकार के अन्य ट्विटर अकाउंट से किए जा रहे ट्वीट को ही रि-ट्विट किया जा रहा है।

इसलिए किया बंद

सरकार का तर्क है कि अब जीएसटी को लागू हुए एक साल से अधिक का वक्त बीत चुका है। अब काफी लोग इस कर प्रणाली को समझ गए हैं और उन्हें फिलहाल किसी तरह की कोई परेशानी सामने नहीं आ रही है। इसलिए अब इस अकाउंट पर किसी तरह का कोई अपडेट या फिर सवालों का जवाब नहीं दिया जाएगा। अब जीएसटी अधिकारी ई-मेल के जरिए सवालों के जवाब देंगे।

Forms
डीम्ड असेसमेंट योजना 2016-2017 के फॉर्म ‘ए’ ‘बी’ और ‘सी’

डीम्ड असेसमेंट योजना 2016-2017 के फॉर्म ‘ए’ ‘बी’ और ‘सी’ के लिए यहाँ क्लिक करे

Click here to Download ‘Deemed Assessment Form’ ‘A’ ‘B’ And ‘C’ year 16-17

अधिवक्ता नीलेश कुशवाहा (कर सलाहकार)

98933-75042

The Syllabus for Limited Insolvency Examination wef 1st November, 2018

The Syllabus for Limited Insolvency Examination wef 1st November, 2018

(Board publishes the syllabus, format etc. of the Limited Insolvency Examination under regulation 3(3) of the IBBI (Insolvency Professionals) Regulations, 2016 for the examination to be conducted from 1st November, 2018.
Examination.syllabus click and download.

वित्त मंत्री की अध्यक्षता में GST काउंसिल की 29वीं बैठक खत्म, इन बातों पर हुई चर्चा

वित्त मंत्री की अध्यक्षता में GST काउंसिल की 29वीं बैठक खत्म, इन बातों पर हुई चर्चा

Sat Aug 04 17:45:15 IST 2018

नई दिल्‍ली [ एजेंसी ] । केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में आज जीएसटी काउंसिल की 29वीं बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में छोटे और मझाेले कारोबारियों के हितों को लेकर कई अहम फैसले लिए गये हैं। देश के कई राज्यों के प्रतिनिधियों और कई मंत्रियों ने इस बैठक में हिस्सा लिया। बैठक के बाद वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया को बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी दी।

जीएसटी काउंसिल की 29वीं बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि
यह एक ऐतिहासिक बैठक हुई जिसमें पूर्णतया लघु उद्योग, मध्यम उद्योग, खुदरा व्यापारी और छोटे व्यापारियों के संबंध में चर्चा की गई। इस बैठक से पहले जीएसटी के बारे में देशभर के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने व्यापारियों और कारोबारियों से मुलाकात की थी जिसके बाद इस बैठक में उनकी बातों को रखा गया और उनके निस्तारण की बात भी की गई।

जीएसटी की 29वीं बैठक में छोटे और मंझोले व्यापारियों को लेकर बहुत ही सार्थक चर्चा हुई, देशभर से इनके लिए बहुत सारे अच्छे सुझाव जैसे जीएसटी की प्रक्रिया को आसान कैसे बनाए और इस ईमानदार व्यवस्था पर देश के और लोगों को कैसे जोड़ा जाए इन बातों पर चर्चा की गई। वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने देश के सभी राज्यों से आए हुए प्रतिनिधियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह पिछले 13 महीनों की कड़ी मेहनत का नतीजा है कि जो आज हम सब छोटे से छोटे व्यापारियों को भी जीएसटी के दायरे में ले आने में सफल हो रहे हैं।

इसके अलावा वित्तमंत्री ने इस बैठक में डिजीटल ट्रांजैक्शन के प्रमोशन पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा छोटे व्यापारियों को भी डिजीटल ट्रांजैक्शन के लिए प्रोत्साहित करना होगा ताकि लोग फॉर्मल इकोनॉमी के साथ जुड़ें जिससे टैक्स कलेक्शन भी बढ़ाने की कोशिश की जाए। टैक्स कलेक्शन बढ़ाने के लिए रुपे डेबिट कार्ड, भीम एप, आधार या यूपीआई के यूएसआइडी बेस्ड ट्रांजैक्शन्स पर ज्यादा से ज्यादा जोर दिया जाए ताकि देश के छोटे व्यापारियों या फिर छोटे तबके के उपभोग्ताओं को डिजीटल ट्रांजैक्शन के प्लेटफॉर्म पर पेमेंट करते हुए जीएसटी टैक्स का पैसा 20 प्रतिशत कैशबैक के रूप में वापस मिल जाए। काउंसिल ने ये निर्णय एक ट्रायल के रूप में लिया है। इसके लिए इसका सॉफ्टवेयर और वैकेन्ट बनाया जाए और जो राज्य इसमें वॉलिन्टियर करना चाहते हैं उन राज्यों में लागूकर देखा जाए कि इसमें कितना लाभ हो रहा है।

जीएसटी में कम हो सकते हैं स्लैब, जीएसटी काउंसिल की मीटिंग है आज

जीएसटी में कम हो सकते हैं स्लैब, जीएसटी काउंसिल की मीटिंग है आज

जोसफ बर्नाड,नवभारत टाइम्स | Updated Aug 4, 2018, 06:18 AM IST
नई दिल्ली
गुड्स एेंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को लेकर सरकार ने अब एक देश आैर एक टैक्स पर काम करना शुरू कर दिया है। सरकार जहां एक तरफ जीएसटी की 28 फीसदी टैक्स स्लैब को खत्म करने पर काम कर रही है, वही दूसरी तरफ वह 12 आैर 18 फीसदी के जीएसटी के स्लैब को एक करने पर काम कर रही है।

जीएसटी के फिटमेंट कमिटी के प्रमुख आैर बिहार के वित्त मंत्री सुशील मोदी के अनुसार अब सरकार, जीएसटी के 12 आैर 18 फीसदी के टैक्स स्लैब को एक करने पर काम कर रही है। इस बारे में राज्यों से बातचीत की जा रही है। 12 आैर 18 फीसदी टैक्स स्लैब को 14 फीसदी का टैक्स स्लैब बनाया जा सकता है।

28 फीसदी के टैक्स स्लैब को खत्म करने की तैयारी
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार धीरे-धीरे अब जीएसटी के 28 फीसदी के टैक्स स्लैब को खत्म किया जा रहा है। मौजूदा समय में जीएसटी के 28 फीसदी स्लैब में 37 प्रोडेक्ट्स ही बचे हैं। इसको भी इस स्लैब से निकाल लिया जाएगा। सीमेंट को 28 फीसदी टैक्स स्लैब से बाहर निकालने पर सैद्धांतिक तौर पर सहमति बन चुकी है। सूत्रों के अनुसार अब सरकार यह देख रही है कि जीएसटी टैक्स की स्थिति क्या है। अगर जीएसटी के टैक्स स्लैब को कम किया गया तो इसका टैक्स कलेक्शन पर क्या असर पड़ेगा।

सुशील मोदी का कहना है कि जीएसटी टैक्स स्लैब में बदलाव से टैक्स कलेक्शन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसका कारण है कि जीएसटी कम होने से वाल्युम बढ़ेगा। यानी कारोबार बढ़ेगा। कारोबार बढ़ने से टैक्स कलेक्शन में इजाफा होगा। जाे लोग यह कह रहे है कि जीएसटी कम होने से टैक्स कलेक्शन कम होगा, वे सिक्के का एक पहलू देख रहे हैं, उन्हों सिक्के का दूसरा पहलू भी देखना चाहिए।

क्या होगा शनिवार की बैठक में
जीएसटी काउंसिल की शनिवार को अहम बैठक है। यह बैठक पूरी तरह से छोटे-मझोले कारोबारियों पर फोकस होगी। बैठक में एमएसएमई सेक्टर को बूस्टर पैकेज मिलने की उम्मीद है। साथ ही डिजिटल ट्रांजैक्शन और ई-पेमेंट पर कैशबैक स्कीम पर भी काउंसिल में सहमति बनने के आसार हैं। सुशील मोदी के अनुसार हमारी कोशिश होगी कि हम ज्यादा से ज्यादा छोटे कारोबारियों को फायदा दे सकें। हम चाहते हैं कि जीएसटी आने के बाद छोटे आैर मझौले व्यापारियों के कारोबार को कारोबार करना आसान हो। एेसे में इस बैठक में इस बैठक में छोटे कारोबारियों से जुड़ी परेशानियों को दूर करने की कोशिश की जाएगी।

सूत्रों के अनुसार जीएसटी की बैठक में एमएसएमई को राहत पर 100 से ज्यादा सिफारिशें राज्यों से मिली हैं। इन सिफारिशों के आधार पर इंटर स्टेट कारोबार पर भी छूट मिल सकती है। अभी इंटर-स्टेट लेनदेन में जीएसटी रजिस्ट्रेशन जरूरी है। इसके अलावा एमएसएमई के भुगतान के एक हिस्से का रिफंड, रिफंड की प्रक्रिया सरल बनाने, देश में कहीं भी जीएसटी रजिस्ट्रेशन की सुविधा देने, सिंगल जीएसटी आईडी से पूरे देश में कारोबार करने की सुविधा देने, टर्नओवर की सीमा बढ़ाने पर, तिमाही रिटर्न पर हर माह टैक्स भरने से राहत अपील की फीस आधी करने जैसी सिफारिशों पर भी अंतिम फैसला लिया जा सकता है।

सभी पुराने टैक्स मामलों का होगा वन-टाइम सेटलमेंट

सभी पुराने टैक्स मामलों का होगा वन-टाइम सेटलमेंट!
इकनॉमिक टाइम्स
Updated Aug 3, 2018, 08:34 AM IST
दीपशिखा सिकरवार, नई दिल्ली
सेंट्रल एक्साइज और वैल्यू ऐडेड टैक्स से जुड़े सभी पुराने मुद्दों के एक बारे में निपटारे पर विचार किया जा सकता है। इससे गुड्स ऐड सर्विसेज टैक्स (GST) के रास्ते में आ रही मुश्किलें दूर हो जाएंगी। GST काउंसिल 4 अगस्त को होने वाली अपनी मीटिंग में इस प्रपोजल पर विचार करेगी।

अगर इसे मंजूरी मिलती है तो अधिकारी टैक्स से जुड़े पुराने मुद्दों से निपटने के बजाय GST कंप्लायंस पर ध्यान दे सकेंगे। इससे सरकार को एकमुश्त बड़ा रेवेन्यू भी मिल सकता है। प्रपोजल के अनुसार, इस स्कीम में असेसमेंट के साथ एरियर शामिल होंगे। देश में पिछले वर्ष 1 जुलाई से GST को लागू किया गया था। इसने सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, काउंटरवेलिंग ड्यूटी, वैल्यू एडेड टैक्स (VAT), एंट्री टैक्स और परचेज टैक्स जैसे कई टैक्स की जगह ली थी। देश भर में VAT सिस्टम समान नहीं था और प्रत्येक राज्य के अपने कानून और प्रक्रियाएं थीं। व्यापारियों को प्रत्येक राज्य के VAT सिस्टम के अनुसार रिटर्न भरनी पड़ती थी।

इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स ने बताया कि हर राज्य में हरेक डीलर के लिए 2-3 VAT असेसमेंट बकाया है। इस वजह से कंपनियों को नए GST कानून और कंप्लायंस के साथ ही VAT के पुराने असेसमेंट को पूरा करने के लिए भी जूझना पड़ रहा है। टैक्स से जुड़े अधिकतर कर्मचारी अब GST में शिफ्ट हो गए हैं और पुराने टैक्स सिस्टम से जुड़ी प्रक्रियाओं के लिए बहुत कम कर्मचारी बचे हैं। इस वजह से भी टैक्स से जुड़े पुराने मामले अटक रहे हैं।

KPMG के पार्टनर (इनडायरेक्ट टैक्स), हरप्रीत सिंह ने बताया, ‘देश भर में मौजूदगी रखने वाली FMCG और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर्स की कंपनियों के प्रत्येक राज्य में कम से कम 2-3 असेसमेंट लंबित हैं। इस वजह से 20 राज्य में बिजनेस रखने वाली किसी कंपनी के बकाया VAT असेसमेंट की कुल संख्या 40 से अधिक है।’

सरकार टैक्स से जुड़े विवाद और कानूनी मामले कम करना चाहती है। इसी वजह से सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) के साथ ही सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज की ओर से अपील दायर करने की वित्तीय सीमाओं को बढ़ाया गया है। CBIC अब ट्राइब्यूनल से 18 पर्सेंट, हाई कोर्ट से 22 पर्सेंट और सुप्रीम कोर्ट से 21 पर्सेंट मामले वापस लेगी। CBIC ने अपने अधिकारियों को पुराने मामलों का जल्द निपटारा करने और GST सिस्टम पर ध्यान देने का निर्देश दिया है। सरकार टैक्स से जुड़े पुराने मामलों के समाधन के लिए पेनल्टी और इंटरेस्ट में छूट दे सकती है।