Archives 2018

बेनामी संपत्ति की जानकारी देने पर इनाम की योजना में फंसा I-T डिपार्टमेंट

बेनामी संपत्ति की जानकारी देने पर इनाम की योजना में फंसा I-T डिपार्टमेंट

इनकम टैक्स विभाग ने एक विज्ञापन देकर लोगों से कहा था कि वे अपने आसपास बेनामी संपत्ति जमा करने वालों का खुलासा करें। टैक्स चोरी के बारे में बताएं। इस तरह की जानकारी देने पर इनाम में एक से 5 करोड़ रुपये मिलेंगे। अब यह योजना इनकम टैक्स विभाग के लिए मुसीबत बन गई है। इनाम के चक्कर में इनकम टैक्स विभाग को बेनामी संपत्ति से लेकर टैक्स चोरी तक की इतनी अधिक सूचनाएं मिल रहीं है कि उनकी जांच करने के लिए अब इनकम टैक्स विभाग के पास कर्मचारियों की कमी पड़ गई है।

ऐसे में इनकम टैक्स अधिकारियों को समझ नहीं आ रहा है कि वे क्या करें। इनकम टैक्स विभाग के उच्चाधिकारियों ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से गुहार लगाई है कि या तो सूचनाओं की जांच का काम किसी एजेंसी से कराया जाए या फिर नई भर्तियां की जाएं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कब बेनामी संपत्ति और टैक्स चोरी की सूचनाओं की जांच होगी और कब उन पर कार्रवाई होगी। इनकम टैक्स विभाग ने अपने विज्ञापन में कहा था कि लोग भारतीय नागरिकों की देश-विदेश में बेनामी संपत्तियों की जानकारी फोन, मेल या कूरियर से दे सकते हैं। उनका नाम गुप्त रखा जाएगा।

अब हालत यह है कि इनाम के चक्कर में देशभर में आईटी दफ्तरों में लगातार फोन की घंटियां बज रही है। आईटी विभाग के दफ्तरों में रोज सैकड़ों कॉल आ रही हैं। कमिश्नर ऑफिस में ईमेल और शिकायती चिट्ठियों का अंबार लग गया है। टैक्स चोरी की शिकायत वाले 500 पेज के कई कुरियर भेज रहे हैं। मई में ही इनकम टैक्स विभाग को बेनामी संपत्ति को लेकर करीब 600 जानकारियां मिलीं। अब इन 600 जानकारियों की जांच करना इनकम टैक्स विभाग के लिए मुसीबत बन हुआ है। इनकम टैक्स विभाग के एक उच्चाधिकारी ने बताया कि उनके पास पहले से ही बहुत काम है। उसके लिए कर्मचारी कम थे, अब बेनामी संपत्ति और टैक्स चोरी को लेकर जिस तरह का रिस्पॉन्स मिल रहा है, उसको पूरा करना अब मुश्किल हो गया है।

इनकम टैक्स विभाग में इस वक्त करीब 45,000 कर्मचारी हैं। 30,000 पद करीब 2 साल से खाली है। इनमें अधिकतर एक्जिक्युटिव असिस्टेंट और टैक्स असिस्टेंट के पद हैं। इनकम टैक्स इंस्पेक्टर के ही 3,000 पद खाली हैं। सूत्रों के मुताबिक नोटबंदी के समय भी इनकम टैक्स विभाग ने सरकार से इन पदों को भरने को कहा था, मगर अभी तक इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया।

जीएसटी : यूजरनेम, मेल आईडी और पॉसवर्ड बदल सकते है करदाता

जीएसटी : यूजरनेम, मेल आईडी और पॉसवर्ड बदल सकते है करदाता

जीएसटी में पंजीकृत व्यापारी आपने  यूजरनेम, मेल आईडी और पॉसवर्डबदल सकते है
इसके लिए आपको एक आवेदन देना होगा
आवेदन में आपको ईमेल और मोबाइल न. बदलने के लिए एक आवेदन आपने न्यायाधिकार क्षेत्र के अधिकारी को देना होगा
न्यायाधिकार क्षेत्र के अधिकारी के द्बारा आपके जीएसटीन में मोबाइल न. और मेल आईडी अपडेट करते ही एक मेल आपकी नई मेल आईडी आ जायेगा और उस मेल में आये आईडी और पॉसवर्ड से आप नई आईडी बना सकते है

एडवोकेट नीलेश कुशवाहा
कर सलाहकार

GST refund to foreign tourists at airports on the cards

GST refund to foreign tourists at airports on the cards

By PTI | Updated: Jun 10, 2018,

Countries like Australia, Germany, France, Singapore, Japan, Malaysia, United Kingdom and Switzerland offer VAT or GST refund to international tourists subject to certain conditions.

Foreign tourists may soon get to claim GST refunds at airports at the time of exit as the revenue department is working on a mechanism to refund taxes paid by them on local purchases.
Initially, only purchases made by tourists from big retailers would be eligible for Goods and Services Tax (GST) refunds at the airports when the tourist is leaving the country, an official said.
In several countries VAT or GST are refunded to the tourists for purchases made beyond a prescribed threshold.
The department is working out a mechanism which will ensure refund of GST to foreign tourists and for that the field offices have to be sensitised, the official said.
“It has to be ensured that refunds are not claimed on the basis of fake invoices. The refund mechanism could start on the basis of invoices issued by big retailers,” the official told PTI.
A provision for GST refund to tourists have been made in the GST law, but it is yet to be operational.
The law has defined the term ‘tourist’ as a person not normally resident in India, who enters India for a stay of not more than six months for legitimate non-immigrant purposes.
AMRG & Associates Partner Rajat Mohan said tourist refund claims are a great inbound tourism marketing technique with a low cost to the exchequer.
“Internationally, countries like Singapore and Australia have an online robust system connecting multiple refund agencies and retailers on a single platform, offering tourists a seamless and hassle-free experience while verifying, processing and disbursing the tax refunds. Matching such state-of-the-art systems could be a technological nightmare for Indian counterparts,” Mohan said.
Countries like Australia, Germany, France, Singapore, Japan, Malaysia, United Kingdom and Switzerland offer VAT or GST refund to international tourists subject to certain conditions. These countries also have a threshold of the minimum amount spent for availing these tax refund advantage.
In Australia, to avail the tax benefit the minimum spend should be 300 Australian dollars (around Rs 15,000). Also, the goods have to be purchased from a single business with same Australian business number.
In case of Singapore, the norms are more relaxed and the minimum purchase amount fixed is SGD 100 (around Rs 5,000), while for Japan and Switzerland the threshold has been fixed at 5,401 yen (around Rs 3,000) and 300 Swiss francs (around Rs 20,000), respectively

व्यापारियों का बढ़ने वाला है सिरदर्द, अब ई-वे बिल के बाद जल्द लागू होगा इंटर डिस्ट्रिक्ट ई-वे बिल 

व्यापारियों का बढ़ने वाला है सिरदर्द, अब ई-वे बिल के बाद जल्द लागू होगा इंटर डिस्ट्रिक्ट ई-वे बिल 

धमतरी. व्यापारियों का फिर से सिरदर्द बढऩे वाला है। सरकार इंटर स्टेट ई-वे बिल के बाद अब इंटर डिस्ट्रिक्ट ई-वे बिल लागू करने की तैयारी चल रही है। इसे लेकर व्यापारियों में हडकंप मचा हुआ है। पहले ही से जीएसटी के चलते वर्कलोड बढ़ा हुआ है। अब तो उनका काम करना मुश्किल हो जाएगा।
व्यापारियों की चिंता बढ़ी
आपको बता दें कि घमतरी के अधिकांश व्यापारी छत्तीसगढ़ के भीतर ही काम करते हैं। जिसके चलते इंटरस्टेट ई-वे बिल लागू होने से व्यापारियों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है, लेकिन इंटर डिस्ट्रिक्ट ई-वे बिल को लेकर उनकी चिंता बढ़ गई है। जानकारी के अनुसार 1 जून से एक जिला से दूसरे जिला में माल भेजने पर भी ई-वे बिल अनिवार्य होगा। व्यापारियों ने बताया कि इससे वर्कलोड और बढ़ जाएगा। यहां के अधिकांश व्यापारी जिले के बाहर लेन-देन करते हैं।

अब तक नहीं पड़ा फर्क
जिले में 6 हजार से ज्यादा व्यापारी है। इसमें से करीब 300 ही दूसरे प्रदेशों में माल भेजते हैं। इसमें भी राइस मिलर्स की संख्या ज्यादा है। राइस प्रोडक्ट टैक्स फ्री होने के कारण उन्हें ई-वे बिल की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके अतिरिक्त वनोपज एक्सपोर्ट होता है, इसमें भी अधिकांश चीजें टैक्स-फ्री हैं।
व्यापारियों पर लगेगा 20 हजार रुपए जुर्माना
राज्य की सीमाओं में चेंकिंग शुरू हो चुकी है। ऐसे में व्यापारियों को नियम के अनुसार ई-वे बिल लेना अनिवार्य है। ई-वे नहीं होने पर व्यापारियों पर २० हजार का जुर्माना लगाया जा सकता है।
रामनरेश चौहान, विक्रयकर अधिकारी

काम को बोझ बढ़ेगा
इंटर स्टेट ई-वे बिल से ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। इंटर डिस्ट्रिक्ट ई-वे बिल लागू होने से काम का बोझ बढ़ेगा।
महेश शर्मा, कर सलाहकार
नीलेश ककुशवाहा, कर सलाहकार

आम चुनाव से पहले व्यापारियों के लिए और सरल होगा जीएसटी

आम चुनाव से पहले व्यापारियों के लिए और सरल होगा जीएसटी

23 Apr 2018, 20:13

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आम चुनाव 2019 से पहले व्यापारियों की नाराजगी दूर करने के लिए जीएसटी को और सरल बनाया जा सकता है। रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के साथ-साथ जीएसटी कानून के विवादित प्रावधानों में संशोधनों सहित कई ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं जिससे जमीनी स्तर पर छोटे और मझोले व्यापारियों को कई दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
-जीएसटी अनुपालन सरल बनाने की तैयारी
-सिंगल पेज का होगा रिटर्न, कानून में हो सकते हैं कई बदलाव
सूत्रों ने कहा कि अगले कुछ महीनों में कई ऐसे उपाय देखने को मिल सकते हैं जिनसे जीएसटी का अनुपालन बेहद आसान हो जाएगा। इनमें सबसे महत्वपूर्ण कदम सिंगल पेज का जीएसटी रिटर्न होगा। जीएसटी काउंसिल इस पर आगामी बैठक में मुहर लगा सकती है। इसके बाद जीएसटी कानून के विवादित प्रावधानों में संशोधन पर जोर दिया जाएगा। रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म ऐसा ही एक प्रावधान है जिसके लेकर व्यापारी और उद्योग जगत ने विगत में चिंता जतायी है।
कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने दैनिक जागरण से कहा कि व्यापारियों की पहली समस्या ई-वे बिल से संबंधित है, यह आसानी से जनरेट नहीं हो रहा है। दूसरी समस्या एचएसएन कोड की है क्योंकि बहुत से व्यापारियों को अभी इसके बारे में जानकारी नहीं है। तीसरी समस्या टैक्स रेट को लेकर है, बहुत से व्यापारियों को कुछ चीजों को लेकर अब भी भ्रम है। चौथी समस्या जीएसटी पोर्टल की है क्योंकि पोर्टल पर कुछ चीजें अपलोड हो पाती हैं जबकि कुछ रह जाती हैं। पांचवी दिक्कत रिटर्न की जटिलता है। उम्मीद है कि 2019 के चुनाव तक जीएसटी की अधिकांश समस्याएं हल हो जानी चाहिए।
उल्लेखनीय कि जीएसटी लागू होने के बाद गुजरात और महाराष्ट्र सहित कई जगह व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था। ऐसे में चुनाव से पहले व्यापारियों की शिकायतें दूर करने पर पूरा फोकस रहेगा।
25 अप्रैल से चार और राज्यों में लागू होगा इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इंटर-स्टेट ई-वे बिल सफलतापूर्वक लागू करने के बाद सरकार अब चरणबद्ध ढंग से अलग-अलग राज्यों में इंट्रा-स्टेट कारोबार के लिए ई-वे बिल लागू करने जा रही है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए 25 अप्रैल से चार और राज्यों तथा एक केंद्र शासित प्रदेश में भी इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल लागू हो जाएगा। अब तक 12 राज्यों में इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल लागू हो चुका है।
वित्त मंत्रालय के अनुसार तीसरे चरण में मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और मेघालय तथा पुद्दुचेरी में इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल लागू हो जाएगा। गौरतलब है कि एक अप्रैल 2018 से देशभर में इंटर-स्टेट व्यापार के लिए ई-वे बिल लागू हुआ था। इसके बाद दो चरणों में आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में ई-वे बिल लागू किया गया।

कंपोजिशन स्कीम की तिमाही रिटर्न दाखिल करने का आज अंतिम दिन, व्यापािरयों को अब अपंजीकृत डीलर की ही देनी होगी जानकारी

कंपोजिशन स्कीम की तिमाही रिटर्न दाखिल करने का आज अंतिम दिन, व्यापािरयों को अब अपंजीकृत डीलर की ही देनी होगी जानकारी
18 Apr.2018 5:45

केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2017 को जीएसटी तो लागू कर दिया, लेकिन अनेक खामियां छोड़ दीं। इसका खमियाजा व्यापारी अभी तक भुगत रहे हैं। इस बार परेशानी की मुख्य वजह सर्वर पर तकनीकी त्रुटि रही। व्यापारी जैसे ही कर सलाहकारों के माध्यम से अपना फार्म वेबसाइट पर अपलोड करवाते हैं तो जीएसटी के पोर्टल पर परचेज शो नहीं होती। इस कारण श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ के 25 हजार से अधिक डीलर परेशान रहे, क्योंकि पता ही नहीं चल पा रहा था कि रिटर्न दाखिल भी हुई या नहीं। सरकार ने अप्रैल के पहले सप्ताह में ही कंपोजिशन डीलरों के लिए रिटर्न भरने के निर्देश जारी किए और 18 अप्रैल को अंतिम तारीख रखी। यह भी बताया कि निर्धारित अवधि में रिटर्न दाखिल नहीं करने पर 100 रुपए प्रतिदिन जुर्माना वसूला जाएगा। परेशानी की एक बड़ी वजह जीएसटीआर-4 नंबर फार्म का नवीनीकरण भी रहा। क्योंकि इसमें डीलर को रजिस्टर्ड व अनरजिस्टर्ड डीलरों से खरीदे गए माल की बिल वाइज जानकारी देनी थी। प्रदेश भर में इसी वजह से कारोबारी 10-12 दिनों से परेशानी में रहे। सरकार ने मंगलवार अपराह्न तीन बजे एक नया आदेश जारी किया। इसमें बताया कि अब केवल अनरजिस्टर्ड डीलर से परचेज की जानकारी देनी होगी, न कि रजिस्टर्ड डीलर से। कर सलाहकार अभिषेक कालड़ा का कहना है कि विभाग की ओर से यदि यही जानकारी जिस दिन फार्म आया उसी दिन दे दी जाती तो अधिकतर रिटर्न समय पर भरी जा सकती थी।
सर्वर में त्रुटि से 10 दिन में 25 हजार से अधिक व्यापारी परेशान, अब सरकार जागी
जनवरी से मार्च 2018 तक की रिटर्न जमा करवानी है
कंपोजिशन स्कीम में शामिल व्यापारियों को जनवरी, फरवरी और मार्च 2018 की जीएसटीआर -4 रिटर्न दाखिल करनी है। इसमें तीन महीने के बिल वार खरीद, बिक्री की समरी तथा टैक्सेबल सेल पर कितनी कंपोजीशन फीस जमा कराई आदि की जानकारी देनी है। यह कई घंटे का काम है। लेकिन जीएसटी की पोर्टल पर अभी तक जीएसटीआर -4 में परचेज शो नहीं हो रही।

GST पैनल की मीटिंग कल, रिटर्न फाइलिंग को आसान बनाने पर इंडस्ट्री से होगी बात

GST पैनल की मीटिंग कल, रिटर्न फाइलिंग को आसान बनाने पर इंडस्ट्री से होगी बात

जीएसटी रिटर्न फाइलिंग को सरल बनाने की तैयारी
नई दिल्ली. गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) रिटर्न फाइलिंग के सरलीकरण पर काम करने के लिए बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी की अगुआई में बने मिनिस्ट्रीयल पैनल की मीटिंग मंगलवार को होगी। इस दौरान जीएसटी पैनल टैक्स एक्सपर्ट्स और इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों से मिलेगा, जिसमें रिटर्न को सरल बनाने के बारे में चर्चा होगी।
रिटर्न फॉर्म को किया जाना है फाइनल
जीएसटी के अंतर्गत कारोबारियों के लिए एक पेज के रिटर्न फॉर्म को अंतिम रूप देने की तैयारी चल रही है. इसलिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) एक्सपर्ट्स और इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों से उनकी राय मांगेगा। जीओएम उनसे पूछेगा कि वे रिटर्न फॉर्म में क्या चाहते हैं।
केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारी के साथ ही नंदन नीलेकणी द्वारा तैयार किए गए स्ट्रक्चर के मुताबिक, लगातार 6 महीने तक टैक्स लायबिलिटी जीरो होने पर कारोबारियों को साल में सिर्फ दो बार रिटर्न फाइल करने की अनुमति मिल सकती है।
बढ़ाई जाएगी रिटर्न फाइलिंग की डेट
रिटर्न फाइलिंग डेट आगे बढ़ाई जाएगी और साथ ही सालाना 1.5 करोड़ रुपए से ज्यादा टर्नओवर वाले कारोबारियों को अगले महीने की 10 तारीख को रिटर्न फाइल करना होगा, जबकि अन्य 20 तारीख को रिटर्न फाइल कर सकते हैं। छोटे और बड़े टैक्सपेयर्स द्वारा फाइल किए जाने वाले रिटर्न की संख्या साल में 12 होगी।
जून के बाद लागू होगा नया सिस्टम
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता और राज्यों के वित्त मंत्रियों की मौजूदगी वाली जीएसटी काउंसिल ने कारोबारियों से जून तक समरी रिटर्न- 3बी और फाइनल सेल्स रिटर्न -1 जून तक फाइल करने के लिए कहा है, जिसके बाद रिटर्न फाइलिंग का नया सिस्टम लागू हो जाएगा। इसके अलावा जीएसटी के अंतर्गत रिवर्स चार्ज मेकैनिज्म पर जीओएम की पहली मीटिंग सोमवार को हुई।
रिवर्स चार्ज मेकैनिज्म पर भी होगी बात
बीते महीने रिवर्स चार्ज मेकैनिज्म के अंतर्गत कारोबारियों के सामने आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए मोदी की अगुआई में जीओएम का गठन किया गया था। जीएसटी काउंसिल ने जून तक के लिए रिवर्स चार्ज मेकैनिज्म को टाल दिया है।
मिले थे ये सुझाव
केंद्र और राज्यों के अधिकारियों को मिलाकर बनी लॉ रिव्यू कमिटी ने रिवर्स चार्ज मेकैनिज्म को ध्यान में रखते हुए कंपोजिशन स्कीम लाकर सेंट्रल जीएसटी एक्ट के सेक्शन 9 (3) पर दुबारा काम करने का सुझाव दिया था। यह भी सुझाव दिया गया कि काउंसिल को चुनिंदा गुड्स और सर्विसेस के नाम का उल्लेख किया जाना चाहिए, जिन पर जीएसटी रिवर्स चार्ज मेकैनिज्म के माध्यम से वसूला जाएगा और टैक्सपेयर्स की कैटेगरी का भी उल्लेख हो, जिन्हें इस प्रोसेस के तहत टैक्स का भुगतान करना चाहिए।
अनरजिस्टर्ड डीलर के लिए कमेटी ने पैन, आधार या ऐसे किसी अन्य पहचान प्रमाण के आधार पर जानकारियां इकट्ठी करने का सुझाव दिया था।

टैक्स चोरी रोकने के लिए एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट ने बनाई 5 टीमें

टैक्स चोरी रोकने के लिए एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट ने बनाई 5 टीमें

ई वे बिल जेनरेट न करने, टैक्स जमा न करवाने वाले ट्रेडर्स पर अब कार्रवाई शुरू हो गई है। इस हफ्ते ही कई ट्रेडर्स के यहां एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट ने चेकिंग की है जबकि अब इस महीने और ट्रेडर्स पर कार्रवाई के लिए 5 टीमें बना दी गई हैं। एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट ने 5 टीमें अलग अलग एक्साइज एंड टैक्सेशन ऑफिसर्स की प्रमुखता में बनाई हैं जो टैक्स चोरी करने वाले ट्रेडर्स के यहां चेकिंग करेंगी और डॉक्यूमेंट्स चेक करने के बाद पेनल्टी लगाने की कार्रवाई करेगी। चंडीगढ़ में करीब 5 हजार से ज्यादा जीएसटी रजिस्टर्ड ट्रेडर्स ने ई वे बिल में रजिस्ट्रेशन करवाया है। जिसके चलते अब ई वे बिल को लेकर भी चेकिंग शुरू की जाएगी और जिन ट्रेडर्स ने ई वे बिल जेनरेट नहीं किया होगा उन पर पेनल्टी लगाई जाएगी। इसके लिए डिपार्टमेंट की तरफ से उन ट्रेडर्स की लिस्ट तैयार की गई है जिनका टैक्स जमा करवाने का डाटा मिसमैच हुआ है। इस महीने अब ऐसे ट्रेडर्स के यहां चेकिंग होगी।

बेनामी संपत्ति पर कसा शिकंजा, शक के दायरे में आए लगभग 50,000 लोगों को इनकम टैक्स विभाग का नोटिस!

बेनामी संपत्ति पर कसा शिकंजा, शक के दायरे में आए लगभग 50,000 लोगों को इनकम टैक्स विभाग का नोटिस!
इकनॉमिक टाइम्सApr 16, 2018

सांकेतिक तस्वीर
सचिन दवे, नई दिल्ली
इनकम टैक्स विभाग ने बेनामी संपत्ति रखने वाले लोगों पर शिंकजा कसना शुरू कर दिया है। आयकर विभाग बेनामी संपत्ति रखने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुख्ता जमीन तैयार कर रहा है। इसी सिलसिले में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कई म्यूचुअल फंड होल्डर्स के नॉमिनीज, हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स की पत्नियों (जो इनकम टैक्स फाइल नहीं करती हैं) और पिछले कुछ सालों में रियल एस्टेट प्रॉपर्टी बेचने वाले एनआरआईज को नोटिस भेजा गया है। नोटबंदी के दौरान बैंकों में 1 लाख रुपये से ज्यादा जमा करने वालों को भी नोटिस भेजा गया है। इस मामले से जुड़े 4 लोगों ने इकनॉमिक टाइम्स को यह जानकारी दी है। भेजे गए कुल नोटिसों की संख्या अभी पता नहीं चल पाई है, लेकिन एक इनकम टैक्स ऑफिसर के अनुसार यह संख्या 50,000 के आसपास हो सकती है। विभाग इन लोगों के पुराने ट्रांजैक्शंस, सोर्स ऑफ इनकम आदि की जांच कर रहा है।
एक अधिकारी के अनुसार, ‘शक के दायरे में आए सभी 50,000 लोगों के प्रॉसिक्यूशन नोटिस भेजा गया, जिसका मतलब यह है कि इन लोगों के दोषी साबित होने पर इन्हें कड़ा जुर्माना भरना पड़ सकता है। पहले इस तरह के मामलों में आरोपी को केवल फाइन भरने के बाद छोड़ दिया जाता था।’ टैक्स अधिकारी ने आगे बताया, ‘शक के दायरे में आए सभी लोगों के डेटा की जांच करने के बाद ही ये नोटिस भेजे गए हैं। हम बेनामी ट्रांजैक्शंस का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए जिस मामले में भी हमें शक होता है, नोटिस भेजे जाते हैं।’
इनकम टैक्स विभाग ने पिछले कुछ सालों में प्रॉपर्टी बेचने वाले लोगों को भी नोटिस भेजा है। इन लोगों को तगड़ी पेनल्टी चुकानी पड़ सकती है। टैक्स अडवाइजरी फर्म के.पी.बी. ऐंड असोसिएट्स के पार्टनर पारस कहते हैं, ‘जिन लोगों के असेसमेंट के दौरान इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को शक हुआ, उन्हें नोटिस भेजा गया है। पहले इस तरह के मामलों में टैक्सपेयर फाइन भर के छूट जाते थे, लेकिन अब उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। इसी वजह से नोटिस पाने वाले लोगों में घबराहट का माहौल है।’
इंडस्ट्री की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि पहले प्रॉसिक्यूशन का प्रविजन वैसे मामलों में ही होता था जिसमें यह साबित होता था कि आरोपी नें जानबूझकर टैक्स नहीं चुकाया है। अब ऐसे मामलों में इनकम टैक्स ऑफिसर अगर नोटिस के जवाब से संतुष्ट नहीं होता है तो मामला मजिस्ट्रेट की कोर्ट में जा सकता है। सूत्रों के अनुसार इनकम टैक्स विभाग लोगों के फोन रिकॉर्ड्स, क्रेडिट कार्ड की जानकारी, टैक्स रिटर्न, पैन कार्ड की डीटेल्स और सोशल मीडिया पर उपलब्ध डेटा की भी जांच कर रहा है। अलग-अलग डेटा की जांच के दौरान अगर इनकम टैक्स विभाग को इनमें कोई खास पैटर्न दिखता है तो लोगों को नोटिस जारी किया जाता है।
इनकम टैक्स विभाग के नोटिस की सबसे खास बात यह है कि वैसे लोगों को भी नोटिस भेजे गए हैं जिन्होंने नोटबंदी के दौरान अपेक्षाकृत कम राशि बैंकों में जमा की थी। कुछ मामलों में तो 1 लाख रुपये तक डिपॉजिट करने वाले लोगों को भी नोटिस भेज गए हैं। हालांकि इनकम टैक्स विभाग के सूत्रों का कहना है कि एक खास पैटर्न देखने बाद ही ऐसे लोगों को नोटिस भेजे गए हैं। कई मामलों में कई अमीर लोगों के ड्राइवर्स, पत्नियों और रिश्तेदारों को भी नोटिस भेजे गए हैं। इन लोगों के नाम पर बेनामी संपत्ति खरीदने और इसपर टैक्स नहीं चुकाने का शक विभाग को है।

5 राज्यों में इंट्रा स्टेट ई-वे बिल आज से, 25 अप्रैल से मप्र में भी

5 राज्यों में इंट्रा स्टेट ई-वे बिल आज से, 25 अप्रैल से मप्र में भी

एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच माल परिवहन के लिए इंटर स्टेट ई-वे बिल सिस्टम पूरे देश में 1 अप्रैल से लागू होने के बाद अब इंट्रा स्टेट ई-वे बिल की तैयारी हो गई है। इसका पहला चरण 15 अप्रैल से पांच राज्यों से शुरू हो रहा है। इसमें उत्तरप्रदेश, गुजरात, केरल, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश शामिल हैं।
यह सिस्टम यहां पर व्यवस्थित रहा और पोर्टल से समस्या नहीं आई तो फिर प्रारंभिक प्रस्ताव के अनुसार ही मप्र में 25 अप्रैल से यह सिस्टम लागू हो सकता है। जीएसटी काउंसिल ने चरण वार इस बिल को लागू करने के लिए सभी राज्यों के साथ पहले ही शेड्यूल तय कर लिया था। इसके तहत मप्र को तीसरे चरण में रखा गया है और पूरे देश में इसे जून तक लागू करना है। जिस तरह से इंटर स्टेट ई वे बिल के लिए पोर्टल आसानी से चल रहा है, उससे जानकारों को अब इसमें कोई रुकावट नहीं लग रही है। अभी मप्र में भी औसतन 14 हजार बिल हर दिन जारी हो रहे हैं और इसमें कोई समस्या नहीं आई है। पहले चरण में जो राज्य इंट्रा स्टेट ई-वे बिल ला रहे हैं, वह फिलहाल चुनिंदा वस्तुओं के परिवहन के लिए ही इसे अनिवार्य कर रहे हैं। मप्र में भी जब इसे लाने की तैयारी हो रही थी, तब 11 वस्तुओं पर ही इसे लाया जा रहा था और वह भी इंटर डिस्ट्रिक्ट परिवहन के लिए अनिवार्य किया जा रहा था। माना जा रहा है कि मप्र शासन इस बार भी राहत के साथ ही इंट्रा स्टेट ई-वे बिल जारी करेगा, जिससे व्यापारियों को समस्या नहीं आए और वह सिस्टम में ढल भी जाएं।