ई-वे बिल के तहत जब्त माल की पेनल्टी यदि 7 दिनों में जमा नहीं कराई तो माल और वाहन दोनों हो जाएंगे राजसात

ई-वे बिल के तहत जब्त माल की पेनल्टी यदि 7 दिनों में जमा नहीं कराई तो माल और वाहन दोनों हो जाएंगे राजसात

ई-वे बिल के तहत जब्त माल की पेनल्टी यदि 7 दिनों में जमा नहीं कराई तो माल और वाहन दोनों हो जाएंगे राजसात

इंदौर। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नियमों के विरुद्ध परिवहन किए जा रहे किसी माल को सरकार द्वारा पकड़ा जाता है तो उस माल पर लगी पेनल्टी का भुगतान संबंधित व्यापारी को 7 दिनों में करना होगा। यदि व्यापारी ने ऐसा नहीं किया ताे उसका माल और माल को परिवहन कर रहे वाहन दोनों को राजसात किया जा सकता है। टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन (टीपीए) द्वारा शुक्रवार शाम जीएसटी पर अयाेजित सेमिनार में विशेषज्ञों द्वारा उक्त जानकारी दी गई। व्हाईट चर्च स्थित टीपीए के हॉल में आयोजित इस सेमिनार में वाणिज्यिक कर विभाग के संयुक्त आयुक्त डॉ. आरके शर्मा और कर सलाहकार आरएस गोयल ने ई-वे बिल की पेनल्टी एवं प्रोसीज़र के संबंध में अपने विचार रखे।

टैक्स फ्री वस्तुओं पर भी लगेगी पेनल्टी
वेट एक्ट में कर मुक्त मालों पर किसी प्रकार की कोई पेनल्टी नहीं लगाई जाती थी। किंतु जीएसटी के तहत यदि यह पाया जाता है कि किसी व्यक्ति के द्वारा जीएसटी के नियमों के विरूद्ध कर मुक्त मालों का परिवहन किया जा रहा है, तो ऐसी स्थिति में माल के मूल्य के 2 प्रतिशत या 5 हजार रुपए दोनों में से जो कम हो उतनी पेनल्टी देना होगी। किंतु यदि माल का मालिक सामने नहीं आता है तो ऐसी स्थिति में माल के मूल्य के 5 प्रतिशत या 5 हजार रुपए दोनों में से जो कम हो उतनी पेनल्टी देय होगी।

दूसरे का माल रखने पर भी लग सकता है जुर्माना
जीएसटी एक्ट में यह विशेष प्रावधान लाया गया है कि यदि व्यवसायी के अलावा कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार की कर चोरी में सहयोग करता हैं, अथवा कर चोरी के उद्देश्य से वितरित किए गए जाने वाले माल को रखता हैं या उसके क्रय एवं विक्रय में सहयोग करता है, तो उस व्यक्ति पर भी 25000 रुपए तक की पेनल्टी लगाई जा सकती हैं।

विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारियां
1) वर्तमान में ई-वे बिल प्रणाली केवल मालों के अंतरप्रांतीय परिवहन अर्थात एक राज्य से दूसरे राज्य के लिए लागू की गई हैं । लेकिन राज्य के भीतर मालों की सप्लाई के समय भी भेजे जा रहे माल का बिल होना अनियार्व है, अन्यथा वाहन की जांच के दौरान माल पर देय कर एवं उसके बराबर पेनल्टी की कार्यवाही की जा सकती हैं।

2)जीएसटी के तहत किसी के प्रकार नियमों का उल्लंघन होने पर 10 हजार रुपए अथवा चोरी किए गए टैक्स की राशि के बराबर पेनल्टी लगाई जा सकती हैं। जीएसटी एक्ट के अंतर्गत ऐसी 21 तरह की त्रुटियों का हवाला दिया गया हैं।

3)यदि किसी व्यक्ति के द्वारा सप्लाई किए गए माल पर देय कर जमा नहीं किया गया है या कम जमा किया गया हैं, या इनपुट टैक्स रिबेट का गलत क्लैम ले लिया गया हैं, अथवा गलत रिफण्ड क्लैम कर लिया गया है तो ऐसी स्थिति में 10 हजार रुपए देय कर की राशि के 10 प्रतिशत के बराबर पेनल्टी का भुगतान करना होगा।

4)यदि कोई व्यक्ति केंद्र या राज्य के जीएसटी अधिकारियों द्वारा जारी किए गए नोटिस पर कार्यालय में उपस्थिति नहीं होता है तो इस दशा में उस व्यक्ति पर 25 हजार रुपए तक की पेनल्टी लगाई जा सकती है।

5)जीएसटी के अंतर्गत छोटी-मोटी भूलों/त्रुटियों के लिए किसी भी प्रकार कोई पेनल्टी नहीं लगाए जाने के प्रावधान हैं। यदि जीएसटी के किसी नियम के उल्लंघन के कारण 5 हजार रुपए से कम टैक्स की राशि बनती है तो ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार की कोई पेनल्टी नहीं लगाने का प्रावधान हैं।