अलग-अलग हो सकती है जीएसटी रिटर्न की तारीख

अलग-अलग हो सकती है जीएसटी रिटर्न की तारीख

अलग-अलग हो सकती है जीएसटी रिटर्न की तारीख

नई दिल्ली जीएसटी रिटर्न प्रक्रिया सरल बनाने की जद्दोजहद कर रही जीएसटी काउंसिल छोटे और बड़े कारोबारियों के लिए रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख अलग-अलग करने पर विचार कर रही है। प्रस्तावित व्यवस्था के तहत सालाना 1.5 करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाले व्यापारियों को अगले महीने की 10 तारीख तक रिटर्न दाखिल करना होगा, जबकि इससे अधिक टर्नओवर वाले कारोबारियों को 20 तारीख तक रिटर्न भरने की अनुमति होगी। वहीं शून्य टर्नओवर वाले व्यापारियों को छह महीने में सिर्फ एक बार ही रिटर्न भरना होगा।

फिलहाल, जीएसटी के तहत कारोबारियों को हर महीने की 20 तारीख तक जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल करना होता है। कंपोजीशन स्कीम लेने वाले व्यापारियों को तीन महीने में एक बार अपनी खरीद-बिक्री का ब्योरा देना पड़ता है। हालांकि जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद शुरुआती महीनों में जीएसटी के आइटी सिस्टम में खामियों के चलते व्यापारियों को रिटर्न दाखिल करने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है। रिटर्न की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए काउंसिल ने एक मंत्रिसमूह को भी उपाय तलाशने का जिम्मा सौंपा है।

काउंसिल अब मौजूदा जीएसटीआर-1, जीएसटीआर-2 और जीएसटीआर-3बी की जगह सिर्फ एक सिंगल मासिक रिटर्न रखने पर विचार भी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक काउंसिल की 10 मार्च को नई दिल्ली में हुई बैठक में रिटर्न प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए जिन विकल्पों पर विचार किया गया, उसमें छोटे और बड़े असेसी के लिए रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि अलग-अलग करना भी शामिल है। जिन व्यापारियों का बीते छह माह में कारोबार शून्य है, वे छह महीने में एक बार रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। माना जा रहा है कि अलग-अलग अंतिम तारीख होने से जीएसटी के आइटी सिस्टम पर बोझ कम होगा। हालांकि काउंसिल ने अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है।

सिंगल रिटर्न के क्रियान्वयन में कई चुनौतियां

सूत्रों का कहना है कि सिंगल मासिक रिटर्न को लागू करने की राह में कई चुनौतियां हैं। माना जा रहा है कि इससे न सिर्फ कंपनियों का खर्च बढ़ सकता है, भ्रम की स्थिति भी बन सकती है। जीएसटीआर-3बी व जीएसटीआर-1 फॉर्म भरे जा रहे हैं। इनसे जीएसटी क्रियान्वयन स्थिर हो रहा है। अगर अभी सिंगल रिटर्न लागू किया जाता है, तो भ्रम की स्थिति बन सकती है। जीएसटी के क्रियान्वयन पर असर पड़ सकता है।