Archives December 2019

The time limit for submitting response to Notice u/s 142(1) issued up to 24th December, 2019 by National e-Assessment Centre has been extended till 10th January, 2020 or the time limit mentioned in the Notice whichever is later.

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Forms available on GST Portal for Taxpayers and Tax Officials

 

Forms available on GST Portal for Taxpayers and Tax Officials

12/12/2019

Government has issued various forms for GST related compliances to be made by taxpayers and for taking actions on them by tax officials. Various forms issued for registration, filing returns or refunds etc. have been made available on the GST Portal.

To know about the details of GST Forms, made available for taxpayers and tax officials, on GST Portal < Click Here >

To download all notified forms, < Click Here >

To download all MOV forms, < Click here >

RESULT OF EXAMINATION for GST PRACTITIONERS HELD ON 12.12.2019 19/12/2019

RESULT OF EXAMINATION for GST PRACTITIONERS HELD ON 12.12.2019

19/12/2019

https://nacin.onlineregistrationform.org/NACINDOC/Result.pdfx

मन्दसौर टैक्स बार एसोसिएशन के स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य पर राज्य-स्तरीय सेमिनार सम्पन्न

मन्दसौर टैक्स बार एसोसिएशन के स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य पर राज्य-स्तरीय सेमिनार सम्पन्न

दिनाँक 16-12-2019 को पद्मावती परिणय,मन्दसौर में मन्दसौर कर सलाहकार संघ एवं मध्यप्रदेश टैक्स लॉ बार एसोसिएशन, म.प्र. के सँयुक्त तत्वावधान में तथा मंदसौर कर सलाहकार संघ के 50वें स्थापना दिवस(स्वर्ण जयंती) के शुभ अवसर पर एक राज्य-स्तरीय जीएसटी सेमिनार का आयोजन किया गया ।

कार्यक्रम के मुख्य-अतिथि, श्री सुधीर जी गुप्ता सांसद, मंदसौर, नीमच,जावरा संसदीय क्षेत्र तथा विशेष-अतिथि, श्री नरेन्द्र जी नाहटा पूर्व मंत्री वाणिज्य-उद्योग एवं वा.कर मध्यप्रदेश शासन तथा कार्यक्रम के अतिथि-वक्ता-सीए, सुनील पी जैन, इंदौर थे।

कार्यक्रम का विधिक शुभारंभ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर दीप-प्रजवलन व माल्यार्पण कर किया गया।

सबसे पहले स्वागत की रश्म पूर्ण की गई जिसमें अतिथियों का निम्नानुसार स्वागत किया गया :
1) मुख्य-अतिथि, क्षेत्रीय सांसद-श्री सुधीर जी गुप्ता का स्वागत, क्रमशः श्री लोकेश जी जैन-अध्यक्ष मन्दसौर टैक्स बार संघ, श्री ए के लखोटिया-अध्यक्ष एमपीटीएलबीए एवं श्री संजय कोचर जी द्वारा किया गया।
2) विशेष अतिथि-पूर्व मंत्री जी श्री नरेन्द्र जी नाहटा का स्वागत, क्रमशः श्री रितेश पारिख-सचिव एवं श्री नवीन पाटीदार ने किया।
3) मुख्य-वक्ता श्री सुनील जैन का स्वागत- सीए, दिनेश जैन ने किया।
4) ए के लखोटिया-अध्यक्ष, एमपीटीएलबीए का स्वागत-सीए, राजेश मंडवरिया जी द्वारा जिया गया।
5) श्री अमित दवे, नेशनल एसोसिएशन ऑफ टैक्स प्रोफ़ेशनल्स के डिप्टी प्रसीडेंट का स्वागत श्री हितेन्द्र मित्तल ने किया।
6) श्री मनीष त्रिपाठी, सचिव एमपीटीएलबीए का स्वागत श्री महावीर पाटनी ने तथा ;
7) श्री शेरसिंह गिरनार, आयकर अधिकारी मन्दसौर का स्वागत दिनेश जैन ने किया।

8) श्री नीलेश कुशवाहा-पी.आर.ओ. एमपीटीएलबीए का स्वागत श्री विकास जी भंडारी ने किया।
9) इसी प्रकार अन्य अतिथिगणों क्रमशः
श्री ए के गौर-उपाध्यक्ष एमपीटीएलबीए का स्वागत- सोहनलाल कोठारी, श्री केदार हेड़ा-उपाध्यक्ष सीटीपीए इंदौर के स्वागत- महावीर पाटनी, श्री सुधीर मिश्रा, सचिव सीटीपीए का स्वागत-विनोद अग्रवाल, श्री कमल सोडानी-कोषाध्यक्ष सीटीपीए का स्वागत विकास भंडारी, श्री हेमन्त जोशी-कोषाध्यक्ष, एमपीटीएलबीए का स्वागत- महेश पारीख  द्वारा बारी-२ से किया गया।
स्वागत गीत का मधुर गायन व प्रस्तुति-सुश्री सुरभी भंडारी द्वारा प्रस्तुत की गई।

जीवन परिचय- अतिथि व मुख्य वक्ता-सी ए श्री सुनील पी जैन का संक्षिप्त जीवन परिचय- श्री महावीर जी पाटनी द्वारा सदन के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

स्वागत भाषण एवं विषय वस्तु पर सम्बोधन :
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सदन में अध्यद्वय एवं अतिथिद्वय द्वारा क्रमानुसार स्वागत भाषण एवं संबोधन प्रस्तुत किये गए, जिनके प्रमुख अंश संक्षिप्त में निम्नानुसार वर्णित है :
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1) श्री लोकेंद्र जैन-अध्यक्ष मंदसौर कर सलाहकार संघ ने कहा कि:
?आप सभी आमंत्रित व उपस्थित जन समुदाय की उपस्थिति व सार्थक सहयोग से ही संघ के स्वर्ण-जयंती अवसर पर इस राज्य स्तरीय सेमिनार का आयोजन सम्भव हो सका है, जिसके लिए आप सभी का कोटिश धन्यवाद व आभार।
? श्री लोकेंद्र जैन ने कहा कि जब-जब भी कर कानूनों में सरकार द्वारा कोई अनीतिगत प्रावधान/नियमों का समाधान किया गया, हम कर संगठनों के सार्थक विरोध व नीतिगत सुझावों से सरकार द्वारा इनमें व्यापक संसोधन भी किये गए है,जो हमारी एकता का जीता जागता प्रमाण है।
?श्री जैन ने कहा कि वैट अधिनियम में 2014 में किए संसोधनों के कारण हम कर सलाहकार प्रदेश स्तर पर एक-सूत्र में बंधे तथा एक राज्य स्तरीय कर संगठन की नींव रखी गई जो आज श्री लखोटिया जी के कुशल नेतृत्व में एक विशाल इमारत का स्वरूप प्राप्त कर चुकी है तथा कर कानून से सम्बंधित सभी प्रकार की समस्याओं व कठिनाइयों आदि को बड़े ही सहज,सरल व नीतिगत रुप से सरकार के सामने प्रस्तुत कर इनका उचित व समाधानकारक हल निकलवाने में अपनी प्रत्यक्ष भूमिका निभा रहे है।

2) सीए, राजेश माण्डवरिया-चेयरमैन-सी ए एसोसिएशन, मंदसौर ने अपने संक्षिप्त उद्धबोधन में कहा कि:
?हमारे एकजुट एवं संघीय प्रयासों से सँयुकरूप से किए जाने वाले नीतिगत व सराहनीय कार्यो के कारण ही हमेशा सरकार व शासकीय विभागों में सम्मान व आदर के क्रम में सदैव ऊपर ऱखकर देखा जाता है, जो हम सब के लिए बड़े गौरव की बात है।
?श्री माण्डवरिया ने कहा कि मंदसौर कर सलाहकार संघ के सभी संस्थागत सदस्यों, वर्तमान पदाधिकारी व सदस्यों ने हमेशा सँयुकरूप से कार्यरत रहकर हमेशा करदाता व संघ के सदस्यों के हितार्थ कार्य करते हुए एक आदर्श स्थापित किया है।
?संघ के संस्थापक सदस्य तथा वरिष्ठ सदस्यों के मार्गदर्शन तथा उनके द्वारा स्थापित किये गए मापदंड के अनुसरण में संस्था ने कार्यरत रहकर, दिन-प्रतिदिन नये-२ आयामों को प्राप्त कर कर कानून के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किये है।
?मंदसौर कर सलाहकार संघ के गौरव को वर्णित करते हुए श्री माण्डवरिया ने कहा कि आज CIRC की केंद्रीय कमेटी में संघ के तीन वरिष्ठ सदस्य कार्यरत है,जो बड़े ही गौरव व सम्मान का परिचायक है।

4) श्री ए के लखोटिया-अध्यक्ष, मध्यप्रदेश टैक्स लॉ बार एसोसिएशन ने अपने सारगर्भित उद्धबोधन में सदन को बताया कि :
?आज मंदसौर जैसे शहर में जीएसटी लागू होने के बाद से लगभग 250 से अधिक सेमिनार्स में अपना व्याख्यान दे चुके प्रसिद्ध जीएसटी विश्लेषक-सुनील पी जैन अपना उद्धबोधन देंगें, यह यहां के कर सलाहाकारों,
सीए एवं व्यवसायियों के लिए जीएसटी के जटिल/कठिन प्रावधानों व नियमों को समझने/समझाने तथा बड़े गौरव का विषय है।
?श्री लखोटिया ने कहा कि हमारे बड़े भाई व नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ टैक्स प्रोफ़ेशनल्स के डिप्टी-प्रसीडेंट, श्री अमित दवे जीएसटी की समस्याओं व कठिनाईयों से सरकार को अवगत कराने व इन्हें दूर करने में संस्थागत स्तर पर सक्रिय भूमिका निभा रहे है तथा उनके मार्गदर्शन में हम सब भी देश के करदाताओं के लिए एकजुट होकर उनकी समस्याओं के समानधानकारक हल प्राप्त कराने में निरंतर कार्यरत है।
?श्री लखोटिया ने मंदसौर कर सलाहाकार के स्वर्ण-जयंती अवसर पर संघ के 50 वर्षों के कार्यकाल की तुलना 50 बोगियों वाली निरंतर चलायमान रहकर सदैव समय पर गंतव्य को पहुँचने वाली रेलगाड़ी से तुलना करते हुए कहा कि-इस संघ के सदस्यों की एक जुटाता, कार्य करने की शैली, उद्देशीय कार्यो के प्रति जुनून तथा अपनत्व के भाव के कारण ही यह संघ आज प्रदेश के अन्य सफ़ल कर संगठनों की श्रेणी में अपनी एक अलग पहचान व जगह बना पाने में कामयाब रहा है।
?श्री लखोटिया ने माननीय क्षेत्रीय सांसद एवं जन प्रतिनिधि, श्री सुधीर गुप्ता जी का ध्यानाकर्षण कराते हुए उनके माध्यम से सरकार तक यह बात पहुंचाने का प्रयास किया कि सरकार, जीएसटी कानून के कई जटिलतम व अनीतिगत प्रावधानों व नियमों आदि में संसोधन कर इस जटिल अप्रत्यक्ष-कर कानून प्रणाली को और अधिक सरल, सुगम व सहज़ बनाया जा सकता है, जिससे देश मे यह नवीन कानून दृढ़ता व इसके मूल उद्देश्यों को प्राप्त करते हुए अधिक परिपक्वता को प्राप्त कर सकेगा।

?श्री लखोटिया ने जीएसटी में प्रस्तुत किये गए रिटर्न को न्याय हित मे रिवाइज़ करने सम्बन्धित प्रावधान कानून में अविलम्ब लाये जाने की बात भी माननीय सांसद महोदय के समक्ष बड़ी विनम्रता व दृढ़ता के साथ रखी।
?हिंदी भाषी राष्ट्र में जीएसटी पोर्टल को अंग्रेजी के अतिरिक्त हिंदी भाषा व अन्य क्षेत्रीय। भाषाओं में संचालित करने सम्बन्धित बात भी रखी गई।
?श्री लखोटिया ने कहा कि जीएसटी को लागू हुए जितने दिन नही हुए है, उससे कहीं अधिक या लगभग 900 से अधिक संसोधन, अधिसूचना व सर्क्युलर जारी किये जा चुके है, जो जीएसटी क़ानून की कमियों को स्वतः परिभाषित करते है, उन्होंने कहा कि आयकर कानून के समान ही जीएसटी में साल में केवल एक बार ही किसी भी संसोधन के लिए अधिसूचना या सर्क्युलर जारी किए जाने चाहिए।

5) अतिथि- श्री शेरसिंह गिरनारे जी, आयकर अधिकारी भी कार्यक्रम में आमंत्रित थे, उन्होंने भी सदन को सम्बोधित किया तथा कहा कि:
?आप सभी कर सलाहाकार, कर-अधिवक्ता व सीए आदि देश के सुदृढ़ निर्माण एवं सर्वांगीण आर्थिक विकास के परिचायक है, आप कर्णधार है देश को प्रगति के पथ पर अग्रेषित करने वाले, आप सदैव राजस्व के नीतिगत संग्रहण में सरकार के सहयोगी के रूप में व्यवसायी एवं विभाग के बीच सदैव ही एक मजबूत ब्रिज़(पुल) की तरह कार्यशील रहे है, कर संग्रहण हेतु किए गए तथा अनवरत किए जाने वाले आप कर सलाहकारों के योगदान को प्रणाम इसे कभी ना तो भुलाया जा सकता है ना ही नज़रअंदाज़ किया जा सकता है।

6) विशेष अतिथि- श्री नरेन्द्र जी नाहटा-पूर्व मंत्री, मध्यप्रदेश शासन ने अपने संक्षिप्त उद्धबोधन में कहा कि:
?मंदसौर टैक्स बार संघ के इस स्वर्ण जयंती कार्यक्रम में मंदसौर का स्थानीय नागरिक होने के नाते मैं, स्वयं को अति गौरवान्वित महसूस कर रहा। हूं।
?श्री नाहटा ने कहा कि आप कर संगठनों ने सदैव ही अपने पक्षकारो व ईमानदार करदाताओं। के हितार्थ व कर कानूनॉन के समुचित संरक्षण के उद्देश्यों से ही अपनी नीतिगत बातें सरकार के समक्ष रखकर हमेशा ही अनेक अदभुत उदारहरण प्रस्तुत किये है।
?श्री नाहटा ने कहा कि पूर्व में राज्य सरकार में जब वे स्वयं उद्योग व वाणिज्य तथा क्षणिक समय के लिए वा.कर मंत्री थे,तब जब-2 भी उनके समक्ष कर कानूनों से सम्बंधित नीतिगत सुझाव आये, उन्होंने राजस्व की सुरक्षा व संग्रहण के अनुसरण में सरकार से इन संसोधनों के लिये अधिसूचना व सर्क्युलर आदि जारी करवाये जो सही व उचित थे।
?सदन में जीएसटी को लेकर आ रही समस्याओं व कठिनाइयों के विषय मे श्री नाहटा ने सांसद श्री सुधीर जी गुप्ता का ध्यानाकर्षण कराते हुए इन्हें उचित स्तर से सरकार के समक्ष रखकर इस कानून की खामियों व इसके व्यवहारिक पक्ष को दुरुस्त कराये जाने व छोटे करदाताओ की वास्तविक समस्याओं को दूर कराये जाने का भी आग्रह किया।

7) मुख्य अतिथि-क्षेत्रीय सांसद, श्री सुधीर जी गुप्ता ने भी सदन को सम्बोधित किया तथा अपने सटीक व सारगर्भित सम्बोधन के माध्यम से कहा कि:
?हर मनुष्य अपने जन्म के क्षणों को सदैव याद रखता है, लेकिन आज मंदसौर कर सलाहकार संघ(संस्था) ने अपने जन्म-दिवस को याद कर अपनी 50वीं स्वर्ण-जयंती वर्षगांठ पर यह बहुउद्देश्यीय व राज्य-स्तरीय आयोजन आयोजित कर ना केवल संस्थागत सदस्यों को अपितु पूरे मंदसौर शहर को गौरवान्वित किया है, जो एक अनुकरणीय कार्य है।
?श्री गुप्ता ने कहा कि, मैं एक सांसद व जन-प्रतिनिधि हूं और आप करदाता आप इस देश के निर्माता है, आपके प्रत्यक्ष व परोक्ष योगदान के कारण ही हमारा देश आज उन्नति व विकास के रथ पर सवार है।

?श्री गुप्ता ने कहा कि यह निर्निवाद रूप से सही है कि दुनिया का हर शख्स सुख-सुविधाओं से से परिपूर्ण रहना चाहता है, सरकार को जो राजस्व प्राप्त होता है इसी से सम्पूर्ण देश का भौगोलिक व आर्थिक विकास के नियम, नीतियां व कार्ययोजनाएं आदि तैयार व निर्धारित की जाकर इन्हें मूर्त रूप प्रदान किये जाने के सारे सम्भव प्रयास किये जाते है, परन्तु इसके बावज़ूद भी की ऐसी विषम परिस्थितियां व अवरोधों का सामना सरकार को करना पड़ता है, जिससे विकास की राह कई मौकों पर अवरुद्ध भी होती है।

?जीएसटी लागू किये जाने की नीति का उल्लेख करते हुए श्री गुप्ता ने कहा कि इस कर कानून प्रणाली को लागू किये जाने का मूल स्वरूप वर्ष 1999 में ही शासकीय कमेटी द्वारा आधारभूत रूप से तय कर लिया गया था, अंततः 1 जुलाई,2017 को यह अपने मूल उद्देश्य व स्वरूप को प्राप्त कर सका।
?श्री सुधीर गुप्ता ने यह भी कहा कि परिवर्तन संसार का नियम है, समय-२ पर हर विधा, हर क्षेत्र में आवश्यकता अनुरूप परिवर्तन होते रहे है, देश के विभिन्न प्रांतों में पूर्व में प्रचलित अप्रत्यक्ष कर कानूनों में आवश्यक वांछित परिवर्तन व परिदृश्य के अनुसरण में ही जीएसटी जैसी बहुउद्देश्यीय एवं पारदर्शी कर प्रणाली को देश मे ऐतिहासिक रूप से लागू किया गया है, जो निश्चित ही भविष्य में भारत के निर्माण व सर्वांगीण विकास का आधारभूत स्तम्भ साबित होगा।
?उन्होंने ने यह भी कहा कि देश जब जो भी सरकारें रही, पक्ष-विपक्ष सभी की अंतरिम सहमति से ही जीएसटी जैसी पारदर्शी, सहज,सरल व अभूतपूर्व कर कानून प्रणाली देश मे लागू की जा सकी है ।
?माननीय सांसद महोदय ने मंच से यह भी कहा कि आप कर सलाहकारगण कानून के प्रखर जानकार व रचियता है, यदि आपको लगता है कि जीएसटी कानून के किसी प्रावधान/नियम तथा पोर्टल आदि के व्यवहारिक क्रियान्वयन में कहीं कोई संसोधन या सुधार की गुंजाईश है, तो कृपया हमें लिखित में अवगत कराएं, हम सरकार व कॉउन्सिल से गुज़ारिश कर इन विसंगतियों को अवश्य दूर कराने का प्रयास करेंगे।
?श्री गुप्ता ने कहा कि ग्लोबलाइजेशन के आज के युग के दौर में दुनिया का हर देश पारदर्शी कर व्यवस्था को अपनाने की दौड़ में शामिल होता जा रहा है, बस हमे स्वयं की कार्य दक्षता,कार्ययोजनाओं के क्रियान्वयन तथा सरकार द्वारा राष्ट्र के विकास तथा जनता के हितार्थ किये जाने वाले एवं किय्य जा रहे कार्यो में विश्वास कायम रखने की महती आवश्यकता है, तभी हम किसी भी विषम परिस्थिति का सामना करते हुए हमारे राष्ट्र को दुनिया के नक्शे पर प्रथम पंक्ति में खड़ा देख सकेंगे।
?श्री गुप्ता ने कहा कि 130 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश मे किसी भी कार्य, कानून या कार्य योजना की देश मे प्रगति, उन्नति एवं स्थायित्व को प्रमाणित करना या अमली जामा प्रदान करना भी निश्चित ही एक बड़ी समस्या रही है, जिसे भाजपा सरकार ने एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया है, और इस सरकार के भावी कार्यकाल में जीएसटी भी निश्चित ही अपने मूल स्वरूप को प्राप्त करते हुए स्थायी रूप से स्थापित होगा इसमे कोई शक या शंसय नही है।
?श्री गुप्ता ने कहा कि नीतिगत व सम्पूर्ण राजस्व संग्रहण के बिना कोई भी विकास कार्य सम्भव नही है, अर्थात राजस्व का संग्रहण व संचय सदैव ही देश के निर्माण एवं विकास का एकमात्र हथियार रहा है व हमेशा रहेगा, अतः आप तथा देश का प्रत्येक करदाता राजस्व को लेकर अपना सर्वत्र योगदान प्रदान करेंगे ऐसी आप सभी से अपेक्षा है।
?अंत मे श्री गुप्ता ने कहा कि विकास की नई राह व इसके पॉजिटिव परिणामों को लेकर सरकार सदैव आश्वस्त एवं वचनबद्ध

8) नेशनल एसोसिएशन ऑफ टैक्स प्रोफ़ेशनल्स के डिप्टी-प्रेसीडेंट श्री अमित दवे,इंदौर ने कहा कि जीएसटी में रिटर्न्स वर्ष 2017-18 के लिए प्रस्तुतिकरण एवं इनमें की गई गलतियों को लेकर गत वर्ष सितंबर माह में बड़ी विकट समस्या करदाताओं व कर सलाहकारों के समक्ष बनी थी, इस सम्बंध में केंद्र सरकार व कॉउन्सिल द्वारा स्वतः निर्णय लिया जाकर वर्ष 2017-18 व 2018-19 के लिए 2 करोड़ से कम व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों के लिए ऐनुअल रिटर्न GSTR-9 प्रस्तुत करना स्वेच्छिक किया गया तथा 2 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले व्यवसायियों के लिए GSTR-9 व GSTR-9C भरने की समय सीमा भी वर्ष 2017-18 व 2018-19 के लिये क्रमशः 31-12-2019 तथा 31-03-2020 तक बढ़ाई गई है,जो स्वागत। योग्य कदम है।

9) इसके पश्चात कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री सुनील पी जैन द्वारा सदन में अपना विस्तृत एवं सारगर्भित उद्धबोधन प्रस्तुत किया जिसका विषय-वार सारांश निम्नानुसार वर्णित है:

A) सबसे पहले श्री जैन ने जीएसटी ऐनुअल रिटर्न GSTR-9 व ऑडिट GSTR-9C भरने की प्रक्रिया एवं इन जटिल फार्म्स को कैसा भरा जाना चाहिए, क्या-२ सावधानी बरती जानी चाहिए आदि पर प्रकाश डाला ततपश्चात कॉउन्सिल द्वारा विगत दिनों इन फार्म्स में जो संसोधन किए है के विषय मे विस्तृत प्रकाश डालते हुए सदन को बताया कि :
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सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ इंडायरेक्ट टैक्सेस के द्वारा एन्युअल रिटर्न में किये गये संशोधनों की समीक्षा।
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जीएसटी काउंसिल की 37वीं मीटिंग मे एन्युअल रिटर्न (फॉर्म-9) एवं जीएसटी ऑडिट रिपोर्ट (फॉर्म -9सी) को सरलीकृत किये जाने हेतु निर्णय लिया गया था। इस संबंध मे अधिसूचना क्रमांक 56/2019 – सेन्ट्रल टैक्स, दिनांक 14.11.19 जारी की गयी। इस अधिसूचना के द्वारा फाॅर्म-9 मे निम्न मुख्य-मुख्य परिवर्तन किये गये है :-

• करयोग्य सप्लाई की जानकारी को संक्षिप्त रूप से दर्शाने हेतु विकल्प:-

पूर्व मे एन्युअल रिटर्न (फॉर्म-9) में माल एवं सेवाओं की सप्लाई की विस्तृत विगत के साथ-साथ उन सेवाओं हेतु जारी किये गये क्रेडिट एवं डेबिट नोट की भी विगत पृथक से देना होती थी किन्तु नये प्रावधानों के अनुसार अब ऐसे क्रेडिट एवं डेबिट नोट को माल एवं सेवाओं की कुल सप्लाई की कीमत मे से कम किये जाकर शुध्द (नेट) रकम दर्शाने हेतु विकल्प प्रदान कर दिया गया है।

• करमुक्त, निल रेटेड, एवं नॉन जीएसटी सप्लाई को एक साथ दर्शाने का विकल्प:-

संशोधन के पूर्व व्यवसायी को करमुक्त सप्लाई (ऐसी सप्लाई जिस पर अधिसूचना के माध्यम से कर मे छुट प्रदान की गई है।) निल रेटेड सप्लाई (ऐसी सप्लाई जिसकी कर की दर जीरो प्रतिशत है।) नॉन जीएसटी सप्लाई (ऐसी सप्लाई जिस पर जीएसटी लागु नही है जैसे कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट तथा इंडियन मेड फोरेन लिकर) को पृथक-पृथक दर्शना था तथा इनसे संबंधित डेबिट एवं क्रेडिट नोट को पृथक-पृथक दर्शना होता था करमुक्त, निल रेटेड, एवं नॉन जीएसटी सप्लाई की रकम को डेबिट एवं क्रेडिट नोट से समायोजित कर नेट रकम करमुक्त सप्लाई मे दर्शाये जाने हेतु विकल्प प्रदान कर दिया गया है।

• आईटीसी के रिवर्सल से संबंधित जानकारियों को एकजाई दर्शाने हेतु संशोधन:-

संशोधन के पूर्व जीएसटी के विभिन्न धाराओं एवं नियमों के तहत किये जाने वाले रिवर्स को पृथक-पृथक दर्शना होता था। किन्तु अब ऐसे रिवर्सल को एक साथ दर्शाया जाने के विकल्प प्राप्त हो गये है यधपि ट्रांजिशनल क्रेडिट के संबंध मे किया जाने वाला रिवर्सल अब भी पृथक से दर्शना होगा।

• रिटर्न मे क्लेम की गई इनपुट टैक्स क्रेडिट तथा जनरेट किये गये जीएसटीआर-2ए के संबंध मे प्रदाय की जाने वाली जानकारी मे संशोधन:-

संशोधन के पूर्व व्यवसायी को उनके द्वारा प्रस्तुत किये गये रिटर्न मे क्लेम की गई इनपुट टैक्स क्रेडिट तथा जीएसटीआर-2ए से जनरेट इनपुट टैक्स क्रेडिट की विगत देना होती थी अब इस संबंध मे व्यवसायी को यह विकल्प दिया गया है कि वे चाहे तो ऐसी विगत एन्युअल रिटर्न मे प्रस्तुत न करते हुए जीएसटी ऑडिट रिपोर्ट मे प्रस्तुत कर सकेंगे।

• अन्य निम्न सामान्य जानकारियों को प्रस्तुत किये जाने की अनिवार्यता को समाप्त कर उसे वैकल्पिक कर दिया गया है:-
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?वित्तीय वर्ष 2017-18 के आईटीसी का कितना रिवर्सल 2018-19 मे किया गया है उससे संबंधित जानकारी।
? वित्तीय वर्ष 2017-18 के आईटीसी का कितना क्लेम 2018-19 मे किया गया है उससे संबंधित जानकारी।
? जीएसटी के अंतर्गत देय राशि (डिमांड), क्लेम किया गया रिफंड, स्वीकार/अस्वीकार किया गया रिफंड, टोटल डिमांड तथा पेंडिंग डिमांड से संबंधित जानकारी।
?कंपोजिशन डीलर से प्राप्त सप्लाई की राशि।
? जाबवर्क हेतु भेजे गए माल या अप्रुवल पर भेजे गए माल निश्चित समयावधि मे वापसी नही होने पर उसे डीम्ड सप्लाई हेतु मान्य की गई राशि।
? संशोधन के पूर्व एन्युअल रिटर्न मे क्रय किये गये मालों या प्राप्त की गई सेवाओं मे एचएसएन विगत चाही गई थी जिसे देना लगभग अंसभव था अब यह जानकारी वैकल्पिक कर दी गई है।
?संशोधन के पूर्व एन्युअल रिटर्न मे विक्रय किये गये मालों या प्रदाय की गई सेवाओं मे एचएसएन विगत चाही गई थी अब यह जानकारी वैकल्पिक कर दी गई है।

*जीएसटीआर ऑडिट रिपोर्ट (9-सी) मे किए हुए महत्वपूर्ण संशोधन :

? true & correct के स्थान पर true & fair सर्टिफिकेशन के संबंध मे संशोधन:-

? इस संशोधन के पूर्व ऑडिट रिपोर्ट मे सीए/सीएमए को प्राप्त जानकारी को ट्रु एवं करेक्ट लिखकर सर्टिफाई करना होता था। चूंकि सीए/सीएमए के लिए व्यवहाारिक तथा प्रायोगिक रूप से यह असंभव है कि व्यवसायी के द्वारा किये गये समस्त संव्यवहार एवं समस्त जानकारी, जीएसटी अधिनियम मे प्रावधानों के अनुसार प्रस्तुत की गई हो यह वेरीफाई कर सके अतः उनके लिए यह संभव नही था कि वे ऐसी जानकारियों को ट्रु एंड करेक्ट के रूप मे सर्टिफाई कर सके, अतः इस संबंध मे समुचित संशोधन करते हुए सर्टिफिकेट मे ट्रु एंड करेक्ट के स्थान ट्रु एंड फेयर शब्द प्रतिस्थापित करते हुए राहत प्रदान कर दी गई है, अर्थात अब ऑडिटर्स को प्रत्येक समव्यवहार को चेक करने की आवश्यकता नहीं होगी वह यह कार्य रेंडम बेसिस पर भी कर सकेंगे ।

• केश फ्लो स्टेटमेन्ट के संबंध मे संशोधन:-
संशोधन के पूर्व जीएसटी के ऑडिटर्स को ऑडिट रिपोर्ट के साथ एक केश फ्लो स्टेटमेन्ट देने की अनिवार्यता थी इसे केवल ऐसे व्यवसायियों के लिए रखा गया है जिन्हें अन्य एक्ट जैसे कि कम्पनीज एक्ट के अंतर्गत दिया जाना अनिवार्य था।

• रिकन्सिलियेशन स्टेटमेन्ट का संक्षिप्तीकरण:-
संशोधनों के पूर्व ऑडिटर्स को उनके द्वारा प्रस्तुत किये गये एन्युअल रिटर्न मे दी गई जानकारी तथा जीएसटी ऑडिट रिपोर्ट मे प्रस्तुत की जाने वाली जानकारी का रिकन्सिलियेशन स्टेटमेन्ट पृथक-पृथक 14 कालमों मे प्रस्तुत करना होता था किन्तु अब इन 14 कालम के स्थान पर ऐसा रिकन्सिलियेशन केवल 1 कालम मे प्रस्तुत किये जाने का विकल्प दिया जाकर इसे सरलीकृत कर दिया गया है।

• इनपुट टैक्स क्रेडिट के रिकन्सिलियेशन स्टेटमेन्ट का संक्षिप्तीकरण:-
संशोधनों के पूर्व ऑडिटर्स को इनपुट टैक्स रिबेट का विस्तृत रिकन्सिलियेशन देना होता था इसमे से 2 कालम को वैकल्पिक कर दिया गया है जिसमे कि व्यवसायी को पिछले वित्तीय वर्ष की कितनी इनपुट टैक्स क्रेडिट को अगले वित्तीय वर्ष मे क्लेम किया गया है उसकी जानकारी देनी होती थी तथा वर्तमान वर्ष की कितनी इनपुट टैक्स क्रेडिट अगले वित्तीय वर्ष मे क्लेम की जा रही है उसे वैकल्पिक कर दिया गया है।

• खर्चो के संबंध मे प्रस्तुत किये जाने वाली जानकारी को वैकल्पिक किये जाने संबंधित प्रावधान:-
संशोधनों के पूर्व ऑडिटर्स के लिये यह अनिवार्य था कि वे उनके द्वारा किये जाने वाले विभिन्न खर्चे जैसे कि माल का क्रय, भाडा, ईंधन, आयातित माल, किराया, बीमा, चोरी हुए माल, गिफट या मुफ्त मे दिये गये माल, रायलटी, स्टेशनरी, रिपेयर मेन्टनेन्स इत्यादि की शुध्द कीमत, उस पर वसुल किये गये जीएसटी तथा स्वीकार योग्य इनपुट टैक्स क्रेडिट की पृथक-पृथक विगत देना होती थी, अब इस 20 गुना 3 अर्थात 60 कालम की जानकारी को वैकल्पिक कर दिया गया है।
कंक्लुजन
अधिसूचना के द्वारा एन्युअल रिटर्न (फॉर्म-9) एवं जीएसटी ऑडिट रिपोर्ट (फॉर्म-9सी) मे किये गये संशोधनों के परिशीलन से यह स्पष्ट होता है कि इन दोनों ही फॉर्म मे बहुत सी अवांछित जानकारी चाही जाकर इन्हें अत्याधिक कलिष्ट (कठिन) कर दिया गया था, ऐसी बहुत सी जानकारियों को सभी छोटे एवं बडे व्यापारियों से मांगे जाने का किसी भी प्रकार का कोई औचित्य नही था अतः इन्हें वैकल्पिक किया जाकर शासन ने अपनी त्रुटि का सुधार किया है जो कि बहुत ही पहले कर दिया जाना था।

श्री सुनील जैन द्वारा एनुअल रिटर्न GSTR-9एवं जीएसटी ऑडिट रिपोर्ट प्रारूप GSTR-9C को और अधिक डीलर फ्रेंडली बनाने हेतु कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी प्रस्तुत किये, निम्नलिखित है :
?
1) करदाताओं की और से यह एक बहुत ही पुरानी मांग थी कि यदि एनुअल रिटर्न भरते समय निम्न कारणों से कुछ अतिरिक्त कर जमा कराना हो जैसे कि :
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?कहीं ITC अधिक क्लेम कर ली गई हो, अथवा ;
?कर (टैक्स)कम जमा किया गया हो उसे पुनः जमा कराना हो या ;
?रिवर्स चार्ज के तहत कोई कर जमा कराने से रह गया हो तो ऐसी लायबिलिटी (कर- देयता) बताने पर पोर्टल पर संबंधित कर की राशि ऑटो पापुलेट हो जावे, अगर ऐसा होता है तो व्यवसाई को कर जमा कराने में सुविधा होगी तथा इस संबंध में किसी भी प्रकार की कोई गलती होने की संभावनाएं कम हो जाएंगी ।
•?व्यवसाई के द्वारा जो आईटीसी क्लेम की जाती है तथा GSTR-2A मे जो जानकारी ऑटो-जनरेट होती है यद्यपि ऐसी जानकारी को एनुअल रिटर्न से हटाकर जीएसटी ऑडिट रिपोर्ट में हस्तांतरित कर दिया गया है किंतु इसमें बहुत सी भ्रांतियां उत्पन्न हो रही है अतः इसका भी सरलीकरण किया जाना चाहिए ।
? जीएसटीआर 9सी में रिकॉन्सिलिएशन ऑफ टैक्स पैड का कॉलम दिया गया है, इसमें व्यवसाई के द्वारा जमा किए गए कर का रेट वाइज वाइफरकेशन चाहा गया है, कि उस रेट में कितना एसजीएसटी, सीजीएसटी तथा कितना शेष इंटीग्रेटेड टैक्स सम्मिलित है आदि, इसी प्रकार रिवर्स चार्ज मेकैनिज्म के तहत जमा किए गए कर में भी ऐसी ही जानकारी चाही गई है जिसे भरने में व्यवसाई को बड़ी ही कठिनाई आती है अतः ऐसी जानकारी को वी वैकल्पिक किया जाना चाहिए ।

B) इसके पश्चात कार्यक्रम के मुख्य वक्ता तथा जीएसटी विशेषज्ञ- सीए, सुनील पी जैन,इंदौर ने सदन में अन्य विषय वस्तु ITC पर प्रस्तुत अपने उद्धबोधन में प्रमुखरूप से निम्न बाते कहीं :
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अ) ITC के सम्बन्ध में जारी सर्क्युलर क्र. 123/42/2019 दिनाँक 11-11-2019 पर प्रकाश डालते हुए अतिथि वक्ता श्री सुनील पी जैन ने कहा कि :
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?सरकार ने अधिसूचना 49 के द्वारा एक नए रूल (नियम) 36(4) बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने की पात्रता के संबंध में एक बड़ा बदलाव किया है जिसके अनुसार अब GSTR-2A में दिख रही आईटीसी सम्बन्धित राशि का अधिकतम 120% तक की आईटीसी ली जा सकेगी ।

?कौंसिल ने दिनाँक 11-11-2019 को इस सम्बंध में लिखित सर्क्युलर क्रमांक 123/42/2019 जारी करते हुए ITC का पूर्ण हिसाब रखने एवं जारी सर्क्युलर में वर्णित शर्तो के अनुरूप ITC क्लेम करने आदि की जवाबदारी स्वयं करदाता व्यवसायी पर निश्चित की गई है।

?यदि करदाता द्वारा जारी सर्क्युलर में वर्णीत नियम/शर्तो के अनुसार क्रेडिट नहीं ली जाती हैं तो ऐसी परिस्थिति में जीएसटी कानून में समाहित प्रावधानों/नियमों के तहत उस पर ब्याज तथा पेनल्टी आदि आरोपित करने की कार्यवाही विभाग द्वारा की जा सकेगी।

?श्री जैन के अनुसार वर्तमान में ITC क्लेम को समझने/समझाने के लिए सरकार ने जो सर्कुलर जारी किया है, इसमें भी कई विसंगतियां व भ्रांतियां हैं।

? श्री जैन के अनुसार वैसे यह रूल 9 नियम 36(4) अक्टूबर,2019 से लागू हो चुका है, परंतु पूर्ण स्पष्टीकरण की कमी में व्यवसाय जगत भ्रमित तथा परेशान हो रहा था।

? श्री सुनील जैन के मतानुसार इस नए रूल/नियम के अनुसरण से निम्न परेशानियां तथा भ्रांतियां उत्पन्न हो रही है :
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1. करदाता व्यवसाई के पास ITC क्रेडिट उपलब्ध होते हुए भी उसे अवांछित रूप से टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है,यानी यदि विक्रेता/सप्लायर्स द्वारा GSTR-1 में कोई बीजक त्रुटिवश या अन्य कारण से नही दर्शाया जाता है,तो क्रेता/प्राप्तकर्ता को इससे सम्बन्धित ITC प्राप्त नही होगी, अर्थात विक्रेता/सप्लायर की भूल अथवा गलती की सजा क्रेता/प्राप्तकर्ता को मिलेगी, जो निश्चित ही अव्यवहारिक, अनीतिगत तथा न्याय सिद्धांतों के विपरीत है।

2. रूल अथवा सर्कुलर में यह कहीं स्पष्ट नहीं है कि, अतिरिक्त 20% ITC क्लेम का हिसाब पूर्ण क्रेडिट के संबंध में रहेगा अथवा अलग-अलग वर्गीकृत जैसे-सीजीएसटी, एसजीएसटी व आईजीएसटी आदि के लिए अलग-अलग हिसाब रखना होगा ।

3. GSTR-2A में दर्शित क्रेडिट में कैसे तय किया जा सकता है कि वह 11 तारीख तक की जानकारी है, क्योंकि GSTR-2A में तारीख के अनुसार क्रेडिट नहीं दिखाई है, तथा साथ ही GSTR-2A में निरंतर बदलाव होता रहता है।

4. कुछ करदाताओं को यह भी मुश्किल आ सकती हैं कि शुरुआती माह में नगद भुगतान करना पड़े तथा बाद में क्रेडिट इकट्ठी हो जाए जिसका रिफंड भी नहीं लिया जा सकेगा, जो निश्चित ही न्यायसंगत नही है ।

ब) इसके अलावा श्री जैन ने ऐनुअल रिटर्न के प्रारूप में संसोधन तथा इन्हें प्रस्तूत करने की तारीखों में किय्य बदलाव के सम्बंध में जीएसटी कॉउन्सिल द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों का तकनीकी विश्लेषण करते हुए सदन को बताया कि :
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? सरकार ने ऐसे सभी करदाता जिनका वार्षिक टर्नओवर 2 करोड़ के से कम हैं उन्हें धारा 44 में वर्णित प्रावधानों के अधीन वार्षिक रिटर्न जीएसटीआर-9 फाइल करने की आवश्यक है, लेकिन अब इसे वित्त वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 को वैकल्पिक कर दिया है तथा कंपोजीशन डीलर के लिए GSTR-9A प्रस्तुत करने की अनिवार्यता को प्रथम 2 वर्ष अर्थात 2017-18 एवं 2018-19 के लिए समाप्त कर दिया गया है, जिससे देश के लगभग 93% करदाताओं को राहत की सांस मिली है।

?नियमानुसार एनुअल रिटर्न भरने की अंतिम तिथि ,वर्ष 17-18 के लिए 30 नवंबर 2019 तथा वर्ष 18-19 के लिए 31 दिसंबर 2019 थी, इसे बढ़ाकर अब क्रमशः 2017-18 के लिये 31-12-2019 व 2018-19 के लिए इसे 31-03-2020 तक बढ़ाया गया है, जो स्वागत योग्य है।

? ऐनुअल रिटर्न के प्रारूप GSTR-9 जो अत्यंत जटिल व विस्तृत है,इसमे आंशिक संसोधन कर कुछ सामान्य सी रियायत प्रदान की गई है।

?हालांकि, 2 करोड़ से कम व्यापार करने वाले करदाताओं के लिए ऐनुअल रिटर्न वैकल्पिक किए गए है, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था के अनुरूप अभी भी करदाता चाहे तो अपनी भूल सुधार करने के लिए यह रिटर्न भर सकते हैं तथा भविष्य में विभाग द्वारा की जाने वाली पेनल्टी आदि की कार्यवाही से बच सकते हैं।

C) सेमिनार के अन्य विषय आगामी 1अप्रैल,2020 से लागू किये जाने वाले
जीएसटी नये रिटर्न्स फॉर्म ANX-1 व ANX-2 आदि को बारे जाने सम्बंध में श्री सुनील पी जैन ने पॉवर पॉइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम विस्तृत व प्रायोगिक उद्धबोधन देते हुए इन्हें भरने की प्रक्रिया से सदस्यों को अवगत कराते हुए उचित मार्गदर्शन प्रदान किया ।

अपने उद्धबोधन के साथ ही श्री सुनील जैन ने मंच के माध्यम से नए जीएसटी रिटर्न्स में करदाताओं व कर सलाहाकारों की और से कुछ महत्वपूर्ण संसोधन एवं इनसे सम्बंधित आवश्यक-सुझाव आदि सरकार जीएसटी कॉउन्सिल प्रेषिकिय्य गये, जो निम्नानुसार वर्णित है :
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नए रिटर्न्स ANX-1 व ANX-2 में न्याय हित मे निम्नलिखित आवश्यक सुधार किए जाना निवेदित है :

? नये रिटर्न्स फार्म्स क्रमशः ANX-1 व ANX-2 को भरने की समय सीमा समानान्तर रूप से आगामी माह की 10 तारीख निर्धारित की गई है, इसमे सुधार की आवश्यकता है क्योंकि यदि सप्लायर भी 10तारीख को रिटर्न्स दाखिल करता है,तो रिसीवर अपने से सम्बंधित बीजकों को नही देख सकेंगे ।
अतः सप्लायर के लिए 10 तारीख तथा रिसीवर के लिये 15 तारीख तक का समय निर्धारित जाना न्यायसंगत होगा,इस बिंदु पर विचार की आवश्यकता है।

? ANX-1 की रो नम्बर 3H में इनवर्ड सप्लाई जिस पर कि RCM के अधीन कर चुकाने का दायित्व है, में क्रेता/रिसीवर का GSTN/ PAN लिखना अनिवार्य किया गया है, यहां यह सम्भव है कि ऐसे व्यक्ति के पास कतिपय दोनों ही नम्बर्स नही हों, अतः ऐसी परिस्थितियों में आधार नम्बर दर्ज़ किये जाने का विकल्प दिया जाना निवेदित है।

?जीएसटी लागू हुए लगभग 28 माह बीत चुके है, लेकिन आज भी कई करदाताओं में प्लेस ऑफ सप्लाई को लेकर भ्रम की स्तिथि है, अतः सही जानकारी के लिए आवश्यक होगा कि सरकार/कॉउन्सिल द्वारा प्लेस ऑफ़ सप्लाई के सम्बंध में एक विस्तर व विधिक सर्क्युलर विभिन्न भाषाओं किया जाना निवेदित है,ताकि व्यवसायी वर्ग यह सरलता से समझ सकें कि प्लेस ऑफ सप्लाई क्या होनी चाहिए।

?नये रिटर्न्स फार्म्स में जहां-२ जिन कॉलम में मेनुअल एंट्रीज करना है, वहां पर निर्देशों के साथ-2 कुछ उदाहरण दिया जाना भी निवेदित है, जिससे व्यवासायियों के स्तर पर रिटर्न्स भरने में कम से कम गलतियां हों ।

? ANX-1 की रो-3B में जहां HSN कोड अनुसार एंट्रीज करना अनिवार्य है, क्या यह संभव हो सकेगा कि जब एक बीजक में कई प्रकार के HSN की सप्लाई की जाती है, तो क्या सिस्टम इसे स्वीकार करेगा, इस बिंदु पर सपष्ट दिशा निर्देश जारी किया जाना निवेदित है।

?पोर्टल पर जीएसटी रिटर्न्स भरते समय देय टैक्स का भुगतान किये जाने की अनिवार्यता है, जबकि जीएसटी कानून में ऐसा कोई नियम/प्रावधान नही है, अर्थात कानूनन करदाता केवल देय कर रिटर्न में दर्शाकर बिना भुगतान किए भी अपने रिटर्न्स दाखिल कर सकते है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि वास्तविक रूप में कई प्रकार की सप्लाई व करदाता ऐसे होते है, जिन्हें अपनी सप्लाई के सम्बंध में क्रेता से भुगतान कई महीनों में प्राप्त होता है, ऐसी स्थिति में यदि वह दो माह का रिटर्न्स मय देय कर के नही भरता है तो वर्तमान व्यवस्था के अनुसार उसका व्यापार लगभग ठप्प से हो जाएगा, जबकि वह नियमानुसार ब्याज़ व बिलम्ब शुल्क के साथ रिटर्न्स दाखिल करना चाहता है, अतः इस सम्बंध में कुछ वैकल्पिक व्यवस्था लाया जाना निवेदित है।

?छोटे करदाताओं के लिए HSN कोड डालने की छूट को ऐनुअल रिटर्न्स में भरने का विकल्प दिया जाना निवेदित है।

?B2C सप्लाई कब सम्बन्ध में HSN कोड वाइस समरी देने की आवश्यकता नही है, क्योंकि ऐनुअल रिटर्न में यह समरी आवश्यक रूप से दिया जाना है, अतः बड़े करदाताओं रिटर्न्स में HSN वाइस समरी साथ ही मांग ली जाना निवेदित है।

स्मृति-चिन्ह- आमंत्रित अतिथियों व वक्ताओं को स्मृति चिन्ह संघ पदाधिकारीयों द्वारा प्रदान किये गए।

कार्यक्रम का संचालन- क्रमशः
सीए वीरेंद्र जी जैन एवं सी ए दिनेश जैन द्वारा किया गया व आभार –
मनीष त्रिपाठी सचिव एमपीटीएलबीए द्वारा व्यक्त किया गया।

कार्यक्रम में लगभग 200 से अधिक संस्थागत सदस्य एवं संस्थापक व वरिष्ठ सदस्य
व अन्य उपस्थित रहे जिनमे क्रमशः सी एम जैन, सौभागमल जी जैन, बंशीलाल जी गुप्ता,सागरमल जी जैन, पवन जीमित्तल, शांतिलाल जी दोसी, महेश जी परिख,दिनेश जी जैन, वीरेंद्र जी राणावत, सोहनलालजी कोठारी, रमेश जी जैन तथा राजेश जी मण्डवारिया, शैलेन्द्र कोठारी, मनीष मित्तल,जितेंद्र मित्तल, कमल डोसी, मुकेश पारिख, महावीर पाटनी,अशोक पाटनी, विकास भंडारी,कविता मिंडा, सुशील झेलावत, प्रमोद गुप्ता आदि प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।

निवेदक :
एड.लोकेन्द्र कुमार जैन
(अध्यक्ष-मंदसौर कर सलाहकार संघ,मंदसौर)
एवं
एड. ए के लखोटिया
(अध्यक्ष-एमपीटीएलबीए)

From 01-04-2020 e-invoice becomes mandatory for 100 crores

From 01-04-2020 e-invoice becomes mandatory for 100 crores and above turnover, Notification number 68, 69, 70, 71, 72 CGST dated 13-12-2019

Notification No. 68 – Central Tax

Notification No. 69 – Central Tax

Notification No. 70 – Central Tax

Notification No. 71 – Central Tax

Notification No. 72 – Central Tax

Technical Glitches’ and Probable Solutions in GSTR-9 & 9C: ICAI

Technical Glitches’ and Probable Solutions in GSTR-9 & 9C: ICAI

 

ICAI- Tech Issues on GSTR-9C

Blocking and Unblocking of EWB generation facility at E-way Bill Portal
  1. Blocking of EWB generation facility: Blocking/unblocking of EWB generation facility has been implemented on EWB Portal from 2nd December, 2019.
    1. Meaning of blocking: The blocking of E Way Bill generation facility means disabling taxpayer from generating E Way Bill (EWB), in case of non-filing of 2 or more consecutive GSTR 3B Return on GST Portal.
      Example: Taxpayers who have not filed their GSTR-3B return for the months of September 2019 and October 2019, their EWB generation facility is blocked from 2nd December, 2019.
    2. For GSTINs whose EWB generation facility is blocked, EWB can’t be generated either by the taxpayer or by their counterparty (whether as supplier or recipient) or the transporter.
  2. Effect on already generated EWB: In case of blocked GSTINs, EWBs already generated and facilities in respect of these EWBs such as updating the vehicle or transporter details or extending the validity of EWB will not be impacted.
  3. Unblocking of EWB generation facility: The EWB generation facility would be automatically unblocked in the event of filing of their GSTR 3B return for the default period(s), reducing the default period to less than 2 consecutive tax periods. The blocking will be automatically lifted on the EWB system next day.
    1. Immediate updation of Status at EWB Portal: For immediate updation of the status the taxpayer can go to the EWB portal and select the option “Search Update Block Status”, enter their GSTIN and use Update Option to get themselves unblocked on GST portal, provided GSTR-3B return has already been filed for the default period(s).
  4. Unblocking by Tax Official: EWB generation facility can also be restored by the jurisdictional tax official on basis of manual representation by a taxpayer. The tax officials will issue a speaking order on GST Portal, for accepting or rejecting such requests of the taxpayers. In case he accepts the request, the facility will get restored.
  5. Effect on Transporter registered on EWB Portal: Transporters enrolled in EWB Portal, but not registered on GST portal will not be impacted. However, the transporters registered on GST Portal, if blocked on non-filing of two or more GSTR 3B returns, cannot use their GSTIN as Consignor, Consignee or transporter to generate EWB and update transporter details.
  6. Frequently Asked Questions: FAQ can be accessed via link https://tutorial.gst.gov.in/userguide/returns/index.htm#t=FAQs_unblockingewaybill.htm

Thanking you,