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जीएसटी के बाद कार्र‌वाई, बिना ई-वे बिल के 8 ट्रक पकड़े

जीएसटी के बाद कार्र‌वाई, बिना ई-वे बिल के 8 ट्रक पकड़े

इंदौर | जीएसटी लागू होने के नौ माह बाद मप्र में पहली बार वाहनों की जांच शुरू की गई है। वाणिज्यिक कर विभाग ने 80 अधिकारियों को जांच के अधिकार दिए हैं। आठ वाहनों को बिना ई-वे बिल के पकड़ा है। विभाग ने सभी वाहनों में आ रहे माल के मालिकों और ट्रांसपोर्टर को नोटिस जारी कर 7 दिन में सभी दस्तावेज पेश करने को कहा है। ऐसा नहीं होने पर जीएसटी एक्ट के तहत पेनल्टी लगेगी। विभाग के एंटी एवेजन ब्यूरो 15 अप्रैल तक जांच करेंगे। वाणिज्यिक कर विभाग के अपर आयुक्त व एंटी एवेजन प्रमुख राजेश बहुगुणा के मुताबिक विभाग ने ई-वे बिल पोर्टल पर पंजीयन बढ़ाने के लिए और अधिक से अधिक इसी बिल के जरिए इंटर स्टेट कारोबार बढ़ाने के लिए जांच शुरू की है। इसमें ई-वे बिल को देखा जा रहा है। जांच अभी जारी रहेगी।
पेनल्टी का गणित : कारोबारी 7 दिन में सामने नहीं आया तो टैक्स के साथ माल की कीमत के बराबर पेनल्टी लगेगी
वरिष्ठ कर सलाहकार आरएस गोयल ने बताया ई-वे बिल के बिना माल का परिवहन हो रहा है तो माल पर लगने वाले टैक्स के साथ ही टैक्स के बराबर राशि की पेनल्टी लगती है। जैसे माल पर पांच हजार रुपए का टैक्स बनता है तो विभाग दस हजार रुपए वसूलेगा, लेकिन यह उसी स्थिति में होगा, जबकि कारोबारी विभाग के सामने आता है। यदि वह सात दिन में सामने नहीं आता है तो टैक्स के साथ ही माल की कीमत के बराबर पेनल्टी लगेगी। जैसे यदि माल की मूल कीमत 95 हजार रुपए और टैक्स पांच हजार है तो कुल पेनल्टी एक लाख रुपए लगेगी।
प्रदेश में सख्ती
सात दिन में बढ़े हैं ई-वे बिल
01 लाख 7 हजार मप्र में इंंटर स्टेट कारोबार वाले
01 अप्रैल को ई-वे बिल जनरेट किए गए थे- 5971
30 हजार ई-वे बिल पोर्टल पर रजिस्टर्ड कारोबारी
विवाहिता 500 ग्राम गोल्ड ज्वेलरी रख सकती है, नहीं पूछ सकते स्रोत
इंदौर | विवाहित महिला के पास यदि बिना आय स्रोत बताए भी 500 ग्राम तक सोने की ज्वेलरी है तो इसे आयकर विभाग छापे के दौरान जब्त नहीं कर सकता और न ही इसके आय के स्रोत के बारे में पूछ सकता। यह फैसला आयकर ट्रिब्यूनल दिल्ली ने आयकर विभाग द्वारा रितु बजाज के केस में सुनाया है। दिल्ली आयकर विभाग ने बजाज के घर छापा मारकर 847 ग्राम सोने की ज्वेलरी जब्त की थी। आय स्रोत सामने नहीं आने पर असेसमेंट ऑफिसर ने इस ज्वेलरी के मूल्य को संबंधित की आय में जोड़कर टैक्स लगा दिया था। लेकिन ट्रिब्यूनल ने असेसमेंट ऑफिसर के सारे तर्क खारिज करते हुए साफ कर दिया कि सीबीडीटी (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस) द्वारा इस मामले में 11 मई 1994 को जारी निर्देश ही मान्य रहेंगे।
निर्देश यह भी : साबित करने पर माता-पिता, दादा-दादी या पूर्वजों से मिली ज्वेलरी भी विभाग नहीं कर सकेगा जब्त
निर्देश के तहत इस सीमा तक किसी भी तरह से ज्वेलरी को न तो जब्त किया जाएगा और न इसका स्रोत पूछा जाएगा। यदि तय सीमा से अधिक की ज्वेलरी मिलती है तो इसका स्रोत पूछा जा सकता है और यदि वह स्रोत बता देता है या साबित कर देता है कि उसे माता-पिता, दादा-दादी या पूर्वजों से यह ज्वेलरी मिली, तो भी इसे जब्त नहीं किया जाएगा। सीए अभय शर्मा ने बताया विविध हाई कोर्ट के फैसलों से भी साफ हो चुका है कि तय सीमा तक ज्वेलरी को जब्त नहीं किया जाएगा। इसलिए करदाता को इस मामले में चिंता करने की जरूरत नहीं है।

टैक्स विभाग ने पकड़ी 400 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी

टैक्स विभाग ने पकड़ी 400 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी

नर्इ दिल्ली। वैसे तो कर चोरी के मामले सामने आते रहते हैं। कोर्इ आयकर की चोरी करता है। उससे पहले लोगों द्वारा सेल्स टैक्स की चोरी की जाती थी। अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेंट्रल एक्साइज ऐंड कस्टम्स (सीबीईसी) ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) चोरी का पर्दाफाश किया है। डिपार्टमेंट ने करीब 400 करोड़ रुपए की चोरी का पर्दाफाश किया है। इसमें कर्इ लोगों के नाम सामने आए हैं।

400 करोड़ की जीएसटी चोरी
यह बात अजीब जरूर लग रही होगी, लेकिन सच है। दो दिन पहले सीबीईसी ने देशभर में छापामारी कर 100 से अधिक संस्थानों में 400 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी का पर्दाफाश किया। डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलीजेंस ने रेड में टॉप डिफॉल्टर्स की भी पहचान की है। जिनमें मल्टी ब्रांड रिटेलिंग कंपनी सरवन पर 55 करोड़, विष्णु कार्स पर 45 करोड़ और नारायणी इस्पात पर 40 करोड़ जैसे नाम शामिल हैं। ज्यादातर मामलों में जीएसटी वसूला गया लेकिन उसे सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया गया। जिस वजह से रेवेन्यू में कमी आई। यूनियन फाइनेंस सेक्रेटरी हसमुख अढ़िया ने महीनेभर पहले कहा था कि मौजूदा फिस्कल में जीएसटी रेवेन्यू अनुमान से 50,000 करोड़ रुपये कम रह सकता है।

नहीं जा करा रहे थे टैक्स
डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलीजेंस के मुताबिक उन्हें रेड के दौरान आंध्रप्रदेश के नेल्लोर जिले में निजी तौर पर डिवेलप कृष्णापत्तनम पोर्ट की तरफ से कथित रूप से 70 करोड़ का जीएसटी रोके रखे जाने का पता चला। पोर्ट पर मौजूद अधिकारियों ने रेड करने वाली टीम को कहा कि उनकी एक्टिविटीज जीएसटी एक्ट के तहत नहीं है। डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलीजेंस ने कंपनी अधिकारियों की इस दलील को खारिज कर दिया। साथ में डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलीजेंस टीम को इस बात की भी जानकारी मिली थी कि कुछ कंपनियों ने 50 करोड़ रुपए का एडिशनल सेंट्रल एक्साइज और सर्विस टैक्स जमा नहीं किया है।

होगी सख्त कार्रवार्इ
डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलीजेंस के अनुसार अगर लोग समय पर रिटर्न फाइल नहीं करेंगे तो अाने वाले समय में उनके खिलाफ और सख्त कार्रवार्इ की जाएगी। डीजीजीआई ने कहा कि उनकी टीम एक करोड़ करदाताआें में से सिर्फ 100 घरों तक पहुंची है। जिन्होंने 400 करोड़ रुपए जीएसटी चोरी की थी। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने लोगों ने कितना रुपया रोककर रखा होगा।

सेल्स टैक्स ने बिना ई-वे बिल माल ले जाते पकड़ा

सेल्स टैक्स ने बिना ई-वे बिल माल ले जाते पकड़ा
12 April 2018

धनबाद | बगैर ई-वे बिल के माल ले जाते बुधवार को सेल्स टैक्स विभाग की आईबी टीम ने माल लदी कई गाड़ियां पकड़ी। टीम ने यह कार्रवाई जीटी रोड पर की। कार्रवाई में छड़ (सरिया) लदा ट्रक, अलग-अलग मिनी ट्रक में लदा तेल, गुटखा और एल्युमिनियम टनल शामिल है। जानकारी के अनुसार छड़ लदे ट्रक को जब्त कर राजगंज थाना में रखा गया है। जबकि अन्य जब्त माल वाणिज्यकर कार्यालय धनबाद लाया गया। जब्त वाहनों में लदा माल का मूल्यांकन करने के बाद संबंधित कारोबारियों से नियमानुसार पेलान्टी वसूला जाएगा।

10 हजार से अधिक नकद खर्च नहीं कर सकेंगे व्यवसायी, गलत इंट्री करना होगा मुश्किल

बिहार : 10 हजार से अधिक नकद खर्च नहीं कर सकेंगे व्यवसायी, गलत इंट्री करना होगा मुश्किल

पटना : नये वित्तीय वर्ष के साथ ही व्यवसायियों पर खर्च की नयी सीमा भी लागू हो गयी है. पूर्व के मुकाबले नकद खर्च की सीमा को घटा कर आधा कर दिया गया है.
31 मार्च तक हर दिन 20 हजार रुपये प्रति व्यक्ति नकद खर्च कर सकते थे. लेकिन नये वित्त वर्ष के लागू होने के साथ ही यह सीमा दस हजार रुपये हो गयी है. चार्टर्ड एकाउंटेंट अशीष कुमार अग्रवाल के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 से सीमा लागू हो गयी है. आयकर अधिनियम की धारा 40 ए (3) के तहत कोई भी व्यक्ति नकद भुगतान दस हजार से ज्यादा नहीं कर सकता है. अगर वह दस हजार से अधिक नकद भुगतान करता है, तो उसे खर्चे का डिडक्शन नहीं मिलेगा.
इसका प्रभाव सभी व्यवसायियों और कारोबारियों पर पड़ेगा. इसके जरिये सरकार की मंशा बुक्स में नकद खर्च की इंट्री के जरिये किये जाने वाले हेरफेर को नियंत्रण करने की है. उन्होंने बताया कि सरकार का फोकस कैशलेस और बैंकिंग ट्रांजेक्शन पर अधिक है. सरकार ब्लैक मनी पर लगाम लगाने का प्रयास कर रही है.
गलत इंट्री करना होगा मुश्किल
नियम लागू होने से इसका असर नजर भी आयेगा. दस हजार या ज्यादा राशि किसी को देनी या खर्च करनी होगी, तो कारोबारियों को चेक या अन्य बैंकिंग ट्रांजेक्शन के जरिये देनी होगी. एेसे में गलत इंट्री करना मुश्किल हो जायेगा.
इसके अलावा किसी भी व्यक्ति द्वारा एक दिन में दो लाख या इससे ज्यादा नकद नहीं स्वीकार करने का नियम भी पहले से लागू है. ये दोनों नियम संयुक्त तौर पर बड़ा असर डालेंगे. अग्रवाल ने बताया कि नया नियम एनजीओ और ट्रस्ट के ऊपर भी लागू किया गया है.

प्रोफेशनल टैक्स मामला टीम कैट ने लगाई हाईकोर्ट में गुहार याचिका स्वीकार

प्रोफेशनल टैक्स मामला

टीम कैट ने लगाई हाईकोर्ट में गुहार याचिका स्वीकार
एक देश एक कर का वायदा कर जीएसटी लगाने के बाद म प्र सरकार द्वारा अब व्यापिरियों से प्रोफेशनल टैक्स संशोधन कर के नाम पर 2500/ जमा कराने का नोटिफिकेशन जारी किया है .जो व्यापारियो के साथ सरासर वायदा खिलाफी है.टीम कैट जिलाध्यक्ष अशोक कुमार ने बताया कि सरकार ने जीएसटी के बाद सभी कर समाप्त करने का भरोसा दिया था.जो आज तक नही किया.
टीम कैट सतना जिलाध्यक्ष अशोक दौलतानी ने बताया कि टीम कैट द्वारा प्रफोशनल बिल समाप्त करने हेतु मुख्यमंत्री म प्र वित मंत्री व कमिश्नर वाणिज्य विभाग को पत्र लिखकर इसे वापस लेने की मांग कैट द्वारा की गई
कैट द्वारा जनहित में एक याचिका हाईकोर्ट मे दायर कर सुनवाई की मांग की गई है.
इस मुद्दे को लेकर टीम कैट सतना द्वारा एक जनहित याचिका डा.रुददत पान्डे अधिवक्ता के माध्यम से उच्च न्यायालय जबलपुर के वरिष्ट अधिवक्ता श्री पी सी चाढ़क के माध्यम से प्रस्तुत की ग्ई.जिसे हाईकोर्ट मे स्वीकार कर लिया गया है
कैट का मानना है यह छोटे छोटे व्यापारियो पर अतिरिक्त भार व सरकार की वायदा खिलाफी है .जिसे सरकार को तत्काल वापस लेना चाहिए .
टीम कैट सतना

सेल्स टैक्स… व्यापारियों को दस्तावेज पेश करने की हिदायत

सेल्स टैक्स… व्यापारियों को दस्तावेज पेश करने की हिदायत

11 Apr.2018

अजमेर | सेल्स टैक्स विभाग ने मंगलवार से जीएसटी रिफंड करने के संबंध में अभियान शुरू किया है। विभाग ने रिफंड जमा नहीं कराने वाले व्यापारियों को तुरंत दस्तावेज जमा कराने के निर्देश दिए हैं। संयुक्त निदेशक ने बताया कि जीएसटी रिफंड के लिए जिन व्यापारियों ने जीएसटी रिफंड के लिए आॅनलाइन प्रार्थना पत्र प्रेषित कर दिया, लेकिन वांछित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए हैं, इसकी वजह से रिफंड में देरी हो रही है। अभियान के दौरान प्राथमिकता के आधार पर रिफंड किए जाएंगे, लेकिन यह तभी संभव हो पाएंगे, जब व्यापारी मूल दस्तावेज जमा करा देंगे। सरकार सोमवार से आईटीसी सत्यापन अभियान भी शुरू किया जाएगा। इसमें 1 अप्रैल 18 को बकाया मांग के आधार पर व्यापारियों के 25 हजार तक मिसमैच आईटीसी प्रकरणों का निस्तारण करा सकते हैं।

Register / Update Digital Signature Certificate Failed Problem Solution

DSC Problem in GST

As informed by the GSTN.

– They have introduced a new Sigining Tool v2.6

– Please un-install the old version

– Please install the new version v2.6 (Run as Administrator)

– The new application works on port 1585

– After you install, Please open a browser windows and run

https://127.0.0.1:1585

– This should solve the problem of DSC for your clients.

6 साल पहले हुए ट्रांजेक्शन में गड़बड़ी, 15 हजार लोगों को आयकर नोटिस

6 साल पहले हुए ट्रांजेक्शन में गड़बड़ी, 15 हजार लोगों को आयकर नोटिस
10 April 2018

रायपुर। छह साल पहले आपके द्वारा ट्रांजेक्शन के दौरान रिटर्न फाइल में की गई गड़बड़ी के नोटिस अब उपभोक्ताओं के पास आने लगे हैं। राजधानी में अब तक पांच हजार से अधिक तथा प्रदेश भर में 15 हजार से अधिक लोगों के पास आयकर विभाग के नोटिस पहुंच चुके हैं।
विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार आयकर विभाग इन दिनों छह साल पुराने ट्रांजेक्शन के संबंध में उपभोक्ताओं से पूछ रहा है। छह साल पहले अगर आपने 10 लाख से ज्यादा अपने सेविंग अकाउंट में जमा किए हैं या 50 लाख से अपने करंट अकाउंट से निकाले हो तो आपको नोटिस आ सकता है। इस प्रकार आयकर विभाग ने कालाधन रखने वालों पर निगाह सख्त कर दी है तथा ऐसे लोगों को किसी भी प्रकार से बख्शने के मूड में नहीं है।
मान लीजिए कि छह साल पहले 35 लाख की प्रॉपर्टी आपके द्वारा खरीदी गई है, जिसका आप स्रोत नहीं बता पा रहे हैं। इस पर आपको 10 लाख 50 हजार टैक्स ,छह साल में 3 फीसद ब्याज की दर से एक लाख 89 हजार तथा कम से कम पेनाल्टी 10.50 लाख तक देनी पड़ेगी।

इन स्थितियों में भी है नोटिस
1.आपके द्वारा कोई प्रॉपर्टी बेची गई हो और आपने रिटर्न फाइल में सही जिक्र नहीं किया है या फिर प्रॉपर्टी की खरीदारी की हो उस स्थिति में भी।
2. टीडीएस आपका काटा गया हो आपको वह मिसमैच हो रहा है। छह साल पहले रिटर्न फाइल नहीं किए हैं।
इन्हें जाएगा नोटिस
आयकर विभाग के इस नोटिस के दायरे में व्यापारियों के साथ ही नौकरी पेशा, किसान सभी आ गए हैं।
यह है नियम
आयकर के नियमानुसार धारा 148 के तहत आयकर विभाग को आपके रिटर्न पर डाउट है तो वह छह साल तक आपको नोटिस भेज सकता है। आपको इस नोटिस का जवाब देना होगा तथा अगर आपने ऐसा नहीं किया तो 10 लाख से ऊपर पर 30 फीसद टैक्स तथा 100 से 300 फीसद पेनाल्टी लगाई जा सकती है।
यह करना होगा
आपको नोटिस मिलने के 30 दिन के भीतर फिर से आयकर रिटर्न फाइल करना होगा। इसके बाद फिर से इस आयकर रिटर्न की स्क्रूटनी होगी। इस प्रकार के नोटिस तभी आते हैं, जब आयकर अकिारी के पास सबूत होते हैं कि करदाता ने अपनी आय छुपाई है या कम दिखाई है।
एक्सपर्ट का यह है कहना
सीए चेतन तारवानी का कहना है कि नोटिस कानून के अनुसार ही आ रहे हैं। लोगों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। करदाताओं को सलाह दी जाती है कि अपने ट्रांजेक्शन वे फिर से जांच लें तथा रिटर्न फाइल करें। अगर आपने गलती से भी कुछ छिपाया है तो फिर से रिटर्न फाइल करें। ईमानदार करदाताओं को किसी भी प्रकार से घबराने की आवश्यकता नहीं है।

अगर अब तक वित्त वर्ष 2015-16 और 16-17 आयकर रिटर्न नहीं भरा तो यह करे

अगर अब तक वित्त वर्ष 2015-16 और 16-17 आयकर रिटर्न नहीं भरा तो यह करे
10 Apr. 2018

वित्त वर्ष 2015-16 और 16-17 के लिए income टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 मार्च थी. अगर आपने इन दोनों वित्त वर्ष का return फाइल नहीं किया है तो आप अब नहीं भर सकते. ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि क्या करना चाहिए.

देर से return दाखिल करने के लिए माफ़ी का आवेदन

Income टैक्स विभाग कुछ खास मामले में आखिरी तारीख खत्म होने के बाद भी income टैक्स रिटर्न फाइल करने की इजाजत देता है. टैक्स2 विन.कॉम के सीईओ अभिषेक सोनी ने कहा, ‘central प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इस बारे में एक सर्कुलर जारी किया है. जिन लोगों का tax रिफंड बनता है या जो लोग नुकसान को आगे बढ़ाना चाहते हैं और आखिरी तारीख तक income टैक्स रिटर्न फाइल करने से चूक गए हैं, वे आयकर आयुक्त के पास application भेज सकते हैं.’

Third party image reference
यहां कुछ पैमाने हैं जिन पर income tax विभाग आपके आवेदन को स्वीकार या खारिज कर सकता है:

* आपका दावा सही और original हो

*मामला सही है और वजह real

*income टैक्स कानून के हिसाब से किसी और व्यक्ति के हाथ में आमदनी assess करने लायक नहीं है.

* चूंकि tax अधिक काट लिया गया या एडवांस tax अधिक जमा कर दिया गया है, इस हिसाब से refund का मामला बन रहा है.

आप आखिरी तारीख के बाद छह साल के अंदर return फाइल करने के लिए आवेदन कर सकते हैं.

अगर आप पर tax बकाया है

अगर आपने वित्त वर्ष 2015-16 और 16-17 के लिए tax नहीं चुकाया है और आय कर return भी फाइल नहीं किया है, तब भी आपको tax जरूर चुका देना चाहिए.

Section 234 A, 234B या 234 C के तहत आप tax चुका सकते हैं.

टैक्स चुका दिया है, लेकिन return नहीं भरा

अगर आपने सभी tax चुका दिया है, लेकिन return फाइल नहीं किया है तो आपके पास अब return फाइल करने या देरी से माफ़ी के लिए आवेदन देने का कोई विकल्प नहीं है. इनकम टैक्स return फाइल नहीं करने के लिए सेक्शन 271F के तहत आपको नोटिस भेजा जा सकता है. इस तरह के मामले में जुर्माने की maximum रकम 5000 रुपये हो सकती है. अगर आप return नहीं भर पाने की सही वजह बताते हैं तो आपका जुर्माना माफ़ हो सकता है.

आपके against क्या कार्रवाई हो सकती है?

Income टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करने के लिए आयकर विभाग आपके खिलाफ कई कदम उठा सकता है. इसमें notice , जुर्माने से लेकर सात साल तक की जेल हो सकती है.

टैक्समैन. कॉम के DGM नवीन वाधवा ने कहा, ‘अगर आपकी income से टीडीएस काटा गया और आपने income टैक्स रिटर्न नहीं भरा तो आपको सेक्शन 142 (1)(i) के तहत नोटिस जारी किया जा सकता है. income टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करने के लिए आप पर 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.’

सोनी ने कहा, ‘अगर कोई व्यक्ति ब्याज के साथ tax चुका दे और income टैक्स रिटर्न किसी वजह से नहीं भर पाए तो penalty की संभावना नहीं है. इसमें आयकर विभाग आपको कम income दिखाने से संबंधित penalty भी नहीं लगा सकता.’

पांच राज्यों में अंदरुनी व्यापार के लिए E-WAY बिल 15 अप्रैल से जरुरी

पांच राज्यों में अंदरुनी व्यापार के लिए E-WAY बिल 15 अप्रैल से जरुरी
10 Apr. 2018

नई दिल्लीः ई-वे बिल, दरअसल, एक तरह का परमिट है जो ये जानकारी देता है कि तय कीमत का माल पूरी तरह से कर चुकाने के बाद एक जगह से दूसरे जगह पर कानूनी तरीक से ले जाया जा रहा है. अभी ये व्यवस्था दो राज्यों के बीच शुरु की गयी है

 

आंध्रप्रदेश, केरला, तेलंगाना,उत्तर प्रदेश, गुजरात राज्यों के भीतर एक जगह से दूसरे जगह पर कारोबार-व्यापार के लिए सामाने लाने-ले जाने के लिए 15 अप्रैल से ई-वे बिल जरुरी होगा. कर्नाटक में ये व्यवस्था पहले से ही लाग हो चुकी है.