Archives March 2018

व्‍यापारी GST ई-वे बिल से बचकर इस तरह कर रहे हैं टैक्‍स चोरी

व्‍यापारी GST ई-वे बिल से बचकर इस
तरह कर रहे हैं टैक्‍स चोरी

 

रजिस्‍ट्रेशन नहीं कराकर टैक्‍स से बचने के लिए व्‍यापारी कई तरह के तरीके अपना रहे हैं. हमारे रिपोटर्स ने यूपी, छत्‍तीसगढ़ और झारखंड समेत कई राज्‍यों के ट्रेडर्स से इस संबंध में बातचीत की.
Updated on: March 29, 2018, 3:03 PM IST
news18

एक अप्रैल से इलेक्‍ट्रॉनिक वे बिल (ई-वे बिल) लागू होने जा रहा है, लेकिन एक करोड़ से अधिक के टैक्‍स बेस में से अभी तक सिर्फ 11 लाख ट्रेडर्स ने ही जीएसटीएन पर रजिस्‍ट्रेशन कराया है. ऐसे में कैश में ट्रेड पर लगाम लगाकर टैक्‍स कलेक्‍शन बढ़ाने के सरकार के सपनों को जोरदार झटका लगा है. रजिस्‍ट्रेशन नहीं कराकर टैक्‍स से बचने के लिए व्‍यापारी कई तरह के तरीके अपना रहे हैं. हमारे रिपोटर्स ने यूपी, छत्‍तीसगढ़, झारखंड, उत्‍तराखंड समेत कई राज्‍यों के ट्रेडर्स के साथ ही कुछ सीए से भी इस संबंध में बात की. ट्रेडर्स और सीए ने जो खुलासा किया है, वे चौंकाने वाले हैं-

जीएसटी से बचने के तरीके पर लखनऊ के एक व्यापारी ने बताया कि रजिस्ट्रेशन कराने के बाद बचने का कोई रास्ता नहीं है. अगर आप ग्राहक को पक्का बिल नहीं भी देते तो भी बच नहीं सकते, क्योंकि आप जहां से माल ला रहे हैं, वहां तो आपको जीएसटी देना ही है. वह आपको पक्का बिल देगा. अगर फिर भी आपने किसी तरह की हेराफेरी करके टैकस बचा लिया तो ऑडिट में पकड़े जाएंगे. लिहाजा कोई व्यापारी ये रिस्क नहीं लेगा. यही वजह है कि अभी तक बाजार उठ नहीं सका है. अभी साल भर और लगेगा सब कुछ सामान्य होने में.

उत्‍तर प्रदेश के एक दूसरे व्यापारी ने बताया कि जब जीएसटी आया तो उसमें कहा गया था कि 20 लाख के टर्न ओवर वालों के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है. लेकिन देशहित में मैंने करवा लिया. लेकिन उसके बाद मुझे असल दिक्कत का पता चला. मेरा फुटकर का काम है. हर एक रिकॉर्ड मेंटेन करने में समस्या होने लगी. इसके लिए एक आदमी रखना पड़ा. इसका असर बिज़नेस पर होने लगा. तीन महीने बाद मैंने जीएसटी रजिस्ट्रेशन रद्द करवा दिया. अब मैं सुकून से हूं.

छत्तीसगढ़ में भी जीएसटी लागू होने के बाद से बिजनेस कम्‍युनिटी में डर का माहौल है. कुछ व्यापारियों और उद्योग जगत से जुड़े लोगों ने बताया कि वे डर-डर के बिजनेस कर रहे हैं. इस समय वे ‘जितना प्राप्त उतना ही पर्याप्त’ की नीति पर काम कर रहे हैं. कोई भी नया काम या उत्पादन बढ़ाने का उनका विचार नहीं है. इसके प्रमुख दो कारण है- एक तो जीएसटी में ऑनलाइन प्रक्रिया होने के कारण टैक्स से बचने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है और दूसरा मार्केट में मंदी का माहौल है.

हालांकि झारखंड के कुछ व्‍यापारियों ने जीएसटी से बचने के उपायों पर नाम नहीं बताने की शर्त पर खुलकर बातचीत की. उनके अनुसार, वे बिना बिल का माल बेचते हैं. ऐसा खासकर वैसे छोटे कारोबारी करते हैं, जिनका सालाना टर्न ओवर डेढ़ करोड़ तक है. ऐसे कारोबारी अपने कारोबार को आगे बढ़ाने की भी इच्छा नहीं रखते हैं. बात करने वालों में अधिकांश ने बताया कि वे कम्प्यूटर और कानूनी पेंचिदगियों से बचना चाहते हैं. उनके लिए अच्‍छी बात यह है कि ग्राहक भी ऐसे कारोबारी से बिल नहीं मांगते. हालांकि राज्‍य के बड़े कारोबारी जीएसटी से नहीं भाग रहे हैं.

नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर उत्‍तराखंड के एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ने न्यूज़ 18 को बताया कि यह पुरानी बोतल में नई शराब की तरह है. जीएसटी चोरी या कर वंचना के तरीके वही हैं, जो पहले सेल्स, सर्विस, उत्पाद कर आदि से बचने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे. उन्‍होंने बताया कि जीएसटी बचाने के लिए जो तरीके इस्तेमाल किए जा रहे हैं, वे मुख्य रूप से ये है-

कैश में डील करना और बिल न देना- इसमें सिर्फ़ वही लोग टैक्स ले रहे हैं, जो बड़ी कंपनियों से सामान ख़रीदकर बेच रहे हैं, क्योंकि उन्हें जीएसटी नंबर के बिना सामान मिलता ही नहीं है. स्थानीय उत्पादों को बेचने वाले आसानी से कैश में डील कर रहे हैं.

सर्विस देने वालों को छूट – उत्तराखंड में 10 लाख तक के टर्नओवर को जीएसटी से छूट है. निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर, वकील, चार्टर्ट अकाउंटेंट जैसे लोग मुख्यतः कैश में डील करते हैं और अक्सर उनके खाते सुविधानुसार इस सीमा से नीचे ही रखे जाते हैं. एक अन्‍य चार्टर्ड अकाउंटेंट ने न्यूज़ 18 को बताया जैसे ही ट्रांज़ैक्शन्स 10 लाख रुपये टर्नओवर की सीमा के करीब पहुंची, उन्होंने एक दूसरी फ़र्म बना ली और ज़रूरत पड़ी तो वह तीसरी भी बना लेंगे.

जबकि सरकार यह मानकर चल रही है कि कैश में होने वाले ट्रेड पर लगाम लगने से उसके टैक्‍स बेस में जोरदार इजाफा होगा. बचे हुए तीन दिन में अनुमानित रूप से बाकी 90 लाख टैक्‍सपेयर्स रजिस्‍ट्रेशन करा पाएंगे, इसकी उम्‍मीद अब कम ही लग रही है.

क्‍या होगा अब: जीएसटी का आईटी आधार ‘जीएसटीएन’ नेटवर्क के पांचवें फाउंडेशन पर बोलते हुए फाइनेंस सेक्रेटरी हसमुख अधिया ने एक तरह से स्‍वीकार कर लिया कि अब सभी टैक्‍सपेयर्स के रजिस्‍ट्रेशन की उम्‍मीद कम ही है. अधिया ने कहा, अब उन्‍हें नहीं लगता कि बाकी ट्रेडर्स, डीलर्स और ट्रांसपोटर्स रजिस्‍ट्रेशन के लिए तैयार हैं. हालांकि उन्‍होंने सभी ट्रेडर्स से जल्‍द रजिस्‍ट्रेशन कराने की अपील के साथ ही यह कहकर उन्‍हें एक तरह की धमकी भी दे दी कि अब बचे हुए लोग यह नहीं कह पाएंगे कि उन्‍हें जानकारी नहीं थी.

जीएसटीएन पर होगा काफी दबाव: पिछले एक अप्रैल को इसकी लॉन्चिंग फेल होने के बाद नेशनल इन्‍फॉमेटिक्‍स सेंटर (एनआईसी) ने इसे मजबूत किया है. सरकार का दावा है कि अब यह 75 लाख इंटर-स्‍टेट ई-वे बिल डेली हैंडल कर सकता है. इसके बावजूद जानकारों का मानना है कि अगर बाकी लोग रजिस्‍ट्रेशन के लिए आ जाएं तो जीएसटीएन पर जबर्दस्‍त दबाव होगा. इससे पहले एक फरवरी को वह बुरी तरह क्रैश कर चुका है.

जीएसटीएन के सीईओ प्रकाश कुमार के अनुसार, बिजनेस टू बिजनेस ट्रांजैक्‍शंस में रेवेन्‍यू लीकेज को रोकने के लिए ई-वे बिल के क्रियान्‍वयन की तारीख पहले एक फरवरी रखी गई थी. लेकिन पहले ही दिन साइट क्रैश होने से जीएसटी काउंसिल ने इसकी तारीख बढ़ाकर एक अप्रैल कर दी थी.

अंतरराज्‍यीय यानी इंटर-स्‍टेट के लिए ई-वे बिल जहां एक अप्रैल से लागू होगा, वहीं इंट्रा-स्‍टेट यानी राज्‍य के अंदर कारोबार के लिए यह 15 अप्रैल से लागू होगा. सड़क, रेलवे, हवाई जहाज या फिर जहाज से अगर कोई 50 हजार रुपए से अधिक का सामान एक राज्‍य से दूसरे राज्‍य लेकर जाता है तो उसके लिए ई-वे बिल देना जरूरी है.

फिलहाल जीएसटी के तहत रजिस्‍टर्ड बिजनेस की संख्‍या 1 करोड़ 5 लाख है और लगभग लगभग 70 लाख रिटर्न फाइल कर रहे हैं.

GSTN has prepared system for 75 lakh GST e-way bills daily

GSTN has prepared system for 75 lakh GST e-way bills daily: Prakash Kumar

GSTN CEO Prakash Kumar on GSTN glitches, steps it has taken to protect taxpayer information and for GST e-way bill rollout from 1 April 2019

Prakash Kumar, chief executive of GSTN, the technology backbone of the goods and services tax. Photo: Pradeep Gaur/Mint
Prakash Kumar, chief executive of GSTN, the technology backbone of the goods and services tax.

New Delhi: Goods and services tax network (GSTN), the information technology backbone of the new indirect tax regime, completes five years on 28 March. In an interview, Prakash Kumar, its chief executive officer, talks about the challenges GSTN faces, the criticism it has encountered for technological glitches, the steps it has taken to protect taxpayer information as well as ensure a successful GST e-way bill rollout from 1 April.

How challenging has the task of creating the tax network for GST been?

It has been quite challenging. The company was incorporated in 2013 and the initial years were spent in staffing and hiring the technology provider. Though we picked Infosys in 2015, the work started in earnest only after the draft GST law was released in June 2016. We prepared all our systems based on this draft law. But in March 2017, the laws were modified in a big way. That was a big setback for us. We had to reorient a lot of things and make a lot of changes. We had initially designed one registration form for all taxpayers irrespective of whether they are composition dealers or inter-state dealers. But now we have separate forms. Similar was the case for return forms where major changes were made quite late. This forced us to release the forms in a phased manner.

The GST Council is again considering changing the return forms. Do you think this time around it will be a smooth process?

We have suggested to the government that we should be given sufficient time to develop, test and then make them available to everyone. This will ensure that when they start using the system, there will be no surprises. I hope this happens. It is the entire ecosystem which has to make the changes including the accountant software companies, GSPs (GST suvidha providers) and the taxpayers. They also have to be given time.

What are the key learnings?

We knew that for any software development, one has to give sufficient time between the development process and implementation. But unfortunately, we had time pressure. Because the Constitution was amended, the government had to bring in GST before September 2017.

Ideally, the GST laws should have been brought in earlier. But one has to appreciate that the centre and the states were abdicating their taxation rights. So it was bound to take time.

GSTN’s ownership structure—the fact that it is a private sector entity—has also been questioned…

I do not think it is a issue. We have got the flexibility to hire people with technical expertise at market salaries. We bring in neutrality as well as the expertise to handle this kind of a big information technology project.

Are there enough safeguards to protect confidentiality of data?

None of us in GSTN has access to any individual data. The data is seen by only two people—the person who uploads the data and the tax officer who has jurisdiction over the taxpayer. The database is in an encrypted form. All data mining is done at a collective level. The database administrator does not have full access to all data pertaining to a taxpayer. If he has access to registration information, he will not have access to any other data.

Are you prepared for the rollout of the GST e-way bill the second time around?

We have made a lot of changes. NIC (National Informatics Centre) has upgraded the infrastructure. We have tested the system for the number of e-way bills that can be generated. We have prepared the system for 75 lakh e-way bills daily as against 26 lakh before. We have also decided to first start with inter-state e-way bills from 1 April and then move to intra-state later. You cannot estimate intra-state volumes. So that is why we have sought a staggered rollout for intra-state bringing in only 4-5 states in one go.

GST कलेक्शन में लगातार दूसरे महीने गिरावट दर्ज

GST कलेक्शन में लगातार दूसरे महीने गिरावट दर्ज

Publish Date:Tue, 27 Mar 2018 10:35 PM (IST)

सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद जीएसटी से राजस्व बढ़ नहीं रहा है।
नई दिल्ली। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद जीएसटी से राजस्व बढ़ नहीं रहा है। फरवरी में जीएसटी संग्रह 85,174 करोड़ रुपये रहा है जो जनवरी की तुलना में कम है। चिंताजनक बात यह है कि लगभग एक तिहाई कारोबारी अब भी तय समय में रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं। माना जा रहा है कि जीएसटी संग्रह में गिरावट की वजह कर चोरी है।
वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को जीएसटी संग्रह के आंकड़े जारी किए। मंत्रालय का कहना है कि फरवरी 2018 में जीएसटी संग्रह 85,174 करोड़ रुपये रहा जबकि जनवरी में यह आंकड़ा 86,318 करोड़ रुपये था। वहीं दिसंबर में जीएसटी संग्रह 88,929 करोड़ रुपये था।
फरवरी में केंद्रीय जीएसटी के रूप में 14,945 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं जबकि राज्य जीएसटी के रूप में 20,456 करोड़ रुपये एकत्रित हुए। इसके अलावा 42,456 करोड़ रुपये आइजीएसटी और 7317 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति सेस के रूप में जुटाए गए हैं। आइजीएसटी फंड में से 25,564 करोड़ रुपये सीजीएसटी और एसजीएसटी के भुगतान के समाधान के तौर पर ट्रांसफर किए गए हैं।
सरकार ने जीएसटी से हर माह लगभग 90 हजार करोड़ रुपये जुटाए जाने की उम्मीद जतायी थी लेकिन एक जुलाई 2017 से यह परोक्ष कर लागू होने के बाद सिर्फ तीन महीनों जुलाई, अगस्त, सितंबर में ही जीएसटी संग्रह 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक रहा है। जीएसटी संग्रह में गिरावट नवंबर में गुवाहटी में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में दो सौ से अधिक वस्तुओं और कई सेवाओं पर छूट देने के बाद आई है।
असल में चिंताजनक बात यह है कि जितने व्यापारियों को रिटर्न दाखिल करना चाहिए उनमें से करीब एक तिहाई अपना रिटर्न समय पर नहीं भर रहे हैं। जीएसटी में कुल 1.05 करोड़ करदाता पंजीकृत हैं। इसमें से 18.17 लाख करदाताओं ने कंपोजीशन स्कीम ले रखी है। 86.37 लाख कारोबारियों को फरवरी में रिटर्न दाखिल करना था
लेकिन 25 मार्च तक इसमें से मात्र 59.51 लाख ने ही अपना जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल किया। इस तरह महज 69 प्रतिशत कारोबारियों ने ही रिटर्न दाखिल किया। ऐसी स्थिति में लगभग एक तिहाई कारोबारी ऐसे हैं जिन्होंने समय पर अपना रिटर्न दाखिल नहीं किया है। इस रिटर्न के दाखिल करने के वक्त ही कारोबारी टैक्स का भुगतान करते हैं।
माना जा रहा है कि जीएसटी संग्रह में गिरावट की वजह कर चोरी है। यही वजह है कि सरकार एक अप्रैल से ई-वे बिल लागू करने की तैयारी कर रही है। उम्मीद है कि इससे जीएसटी चोरी पर नियंत्रण लगेगा और सरकार का राजस्व बढ़ेगा।
-मासिक राजस्व संग्रह-
माह —- राजस्व (करोड़ रुपये में)
जुलाई – 93,590,
अगस्त – 93,029,
सितंबर – 95,132,
अक्टूबर – 85,931,
नवंबर – 83,716,
दिसंबर – 88,929,
जनवरी – 86,318,
फरवरी – 85,174

Good News! Aadhaar-Pan linking deadline extended till June 30 by CBDT

Good News! Aadhaar-Pan linking deadline extended till June 30 by CBDT

The Central Board of Direct Taxes (CBDT) has extended the deadline for linking of Pan with Aadhaar until June 30 after the Supreme Court on March 13 extended the deadline linking for various services until the apex court delivered its judgement on the matter.

CBDT extended Aadhaar-Pan deadline
Good News! Aadhaar-Pan linking date extended till June 30 by CBDT
The Central Board of Direct Taxes (CBDT) has extended the deadline for linking of Pan with Aadhaar until June 30 after the Supreme Court on March 13 extended the deadline linking for various services until the apex court delivered its judgement on the matter. The government, too, had contended that it was willing to extend the deadline as the matter related to Aadhaar was sub judice in the court.

In an official order, the CBDT extended the deadline for Aadhaar-Pan linking until June 30. Earlier, the deadline was March 31. The extension of deadline comes as a major relief to people who are yet to obtain or their Aadhaar cards. The new deadline for other services like bank accounts and phone numbers have not been announced yet.

Last July, the Narendra Modi government under Section 139 AA (2) of the Income Tax Act made it mandatory for every person having PAN as on July 1, 2017, and eligible to obtain Aadhaar, must intimate his Aadhaar number to the tax authorities.

The first deadline for linking Aadhaar was fixed July 31, 2017, which got extended till August 31. Then again as the Aadhaar matter was being heard in the court over privacy and constitutionality issues of Aadhaar, the deadline was further extended to December 31 and then March 31.

Meanwhile, the government earlier this month told the Parliament that over 16.65 crore Pan cards and 87.79 crore bank accounts have been linked to Aadhaar. While the government is pushing for the 12-digit biometric identity for various services to weed out black money and to ensure transparent direct benefit transfer to the poor and needy, the project conceptualised by Nandan Nilekani during the UPA-II regime is under the cloud for privacy and security issues.

अलग-अलग हो सकती है जीएसटी रिटर्न की तारीख

अलग-अलग हो सकती है जीएसटी रिटर्न की तारीख

नई दिल्ली जीएसटी रिटर्न प्रक्रिया सरल बनाने की जद्दोजहद कर रही जीएसटी काउंसिल छोटे और बड़े कारोबारियों के लिए रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख अलग-अलग करने पर विचार कर रही है। प्रस्तावित व्यवस्था के तहत सालाना 1.5 करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाले व्यापारियों को अगले महीने की 10 तारीख तक रिटर्न दाखिल करना होगा, जबकि इससे अधिक टर्नओवर वाले कारोबारियों को 20 तारीख तक रिटर्न भरने की अनुमति होगी। वहीं शून्य टर्नओवर वाले व्यापारियों को छह महीने में सिर्फ एक बार ही रिटर्न भरना होगा।

फिलहाल, जीएसटी के तहत कारोबारियों को हर महीने की 20 तारीख तक जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल करना होता है। कंपोजीशन स्कीम लेने वाले व्यापारियों को तीन महीने में एक बार अपनी खरीद-बिक्री का ब्योरा देना पड़ता है। हालांकि जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद शुरुआती महीनों में जीएसटी के आइटी सिस्टम में खामियों के चलते व्यापारियों को रिटर्न दाखिल करने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है। रिटर्न की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए काउंसिल ने एक मंत्रिसमूह को भी उपाय तलाशने का जिम्मा सौंपा है।

काउंसिल अब मौजूदा जीएसटीआर-1, जीएसटीआर-2 और जीएसटीआर-3बी की जगह सिर्फ एक सिंगल मासिक रिटर्न रखने पर विचार भी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक काउंसिल की 10 मार्च को नई दिल्ली में हुई बैठक में रिटर्न प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए जिन विकल्पों पर विचार किया गया, उसमें छोटे और बड़े असेसी के लिए रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि अलग-अलग करना भी शामिल है। जिन व्यापारियों का बीते छह माह में कारोबार शून्य है, वे छह महीने में एक बार रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। माना जा रहा है कि अलग-अलग अंतिम तारीख होने से जीएसटी के आइटी सिस्टम पर बोझ कम होगा। हालांकि काउंसिल ने अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है।

सिंगल रिटर्न के क्रियान्वयन में कई चुनौतियां

सूत्रों का कहना है कि सिंगल मासिक रिटर्न को लागू करने की राह में कई चुनौतियां हैं। माना जा रहा है कि इससे न सिर्फ कंपनियों का खर्च बढ़ सकता है, भ्रम की स्थिति भी बन सकती है। जीएसटीआर-3बी व जीएसटीआर-1 फॉर्म भरे जा रहे हैं। इनसे जीएसटी क्रियान्वयन स्थिर हो रहा है। अगर अभी सिंगल रिटर्न लागू किया जाता है, तो भ्रम की स्थिति बन सकती है। जीएसटी के क्रियान्वयन पर असर पड़ सकता है।

Deadline For Income Tax Returns Filing Only 11 Days Away. 10 Points

Deadline For Income Tax Returns Filing Only 11 Days Away. 10 Points

There is a provision for the belated income tax (I-T) return filing before 31 March, 2018 for the two preceding years

Deadline For Income Tax Returns Filing Only 11 Days Away. 10 Points

There is a provision for the belated income tax (I-T) return filing before 31 March, 2018 for the two preceding years

Income tax department alerted the tax payers to avoid the last minute rush

Story Highlights
Deadline to file income tax return for 2015-16, 2016-17 is March 31
The IT return details shouldn’t vary from the details given in form 16
Income tax payer can submit their returns online
While a substantial number of income tax payers may have cleared their income tax (I-T) liability for the assessment years 2016-17 and 2017-18, but the ones who have not paid as yet can still do so by filing the belated income returns (I-T). Ideally, the salaried individuals are expected to pay the income tax return before July 31 of the year following the one for which the income tax return is filed, however, there is a provision to file the return anytime afterwards but before the next financial year’s 31 March. Sample this. For the financial years 2015-16 and 2016-17, also known as assessment years 2016-17 and 2017-18 in the income tax parlance; the income tax payers are meant to file their returns anytime before July 31 of 2016 and 2017, respectively. However, the belated income tax (I-T) returns for these years can also be filed before March 31 of 2018, which is just two weeks from now.
Making use of this provision, income tax payers can file the return for these two years gone by.

Deadline For Filing Income Tax Returns Looms Large. 10 Things To Know

1. Income tax (I-T) department categorically mentions on its website that the income, exemptions and other deductions that will be claimed now in the return must not deviate from the details mentioned in the form 16/ form 16A.

2. The income tax (I-T) department cautions that the income tax payers should not resort to the last minute rush and they must file their income tax (I-T) returns as soon as possible, before these two weeks expire.

3. You can file income tax return on the department website incometaxindiaefiling.gov.in but make sure that you have your form 16. You don’t need to go anywhere or approach anyone to do the job for you.

4. For filing the income tax return, you must give your user ID and password to be able to open your income tax (I-T) filing web page on the department website.

5. You can submit the taxable income details, and the exemptions that you claim to be able to ascertain the income tax (I-T) liability.

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Deadline For Income Tax Returns Filing Only 12 Days Away. 10 Points
Business NDTV Profit Team
There is a provision for the belated income tax (I-T) return filing before 31 March, 2018 for the two preceding years
Updated : March 19, 2018 20:02 IST
Income tax department alerted the tax payers to avoid the last minute rush

Story Highlights
Deadline to file income tax return for 2015-16, 2016-17 is March 31
The IT return details shouldn’t vary from the details given in form 16
Income tax payer can submit their returns online
While a substantial number of income tax payers may have cleared their income tax (I-T) liability for the assessment years 2016-17 and 2017-18, but the ones who have not paid as yet can still do so by filing the belated income returns (I-T). Ideally, the salaried individuals are expected to pay the income tax return before July 31 of the year following the one for which the income tax return is filed, however, there is a provision to file the return anytime afterwards but before the next financial year’s 31 March. Sample this. For the financial years 2015-16 and 2016-17, also known as assessment years 2016-17 and 2017-18 in the income tax parlance; the income tax payers are meant to file their returns anytime before July 31 of 2016 and 2017, respectively. However, the belated income tax (I-T) returns for these years can also be filed before March 31 of 2018, which is just two weeks from now.
Making use of this provision, income tax payers can file the return for these two years gone by.

Deadline For Filing Income Tax Returns Looms Large. 10 Things To Know

1. Income tax (I-T) department categorically mentions on its website that the income, exemptions and other deductions that will be claimed now in the return must not deviate from the details mentioned in the form 16/ form 16A.

2. The income tax (I-T) department cautions that the income tax payers should not resort to the last minute rush and they must file their income tax (I-T) returns as soon as possible, before these two weeks expire.

3. You can file income tax return on the department website incometaxindiaefiling.gov.in but make sure that you have your form 16. You don’t need to go anywhere or approach anyone to do the job for you.

4. For filing the income tax return, you must give your user ID and password to be able to open your income tax (I-T) filing web page on the department website.

5. You can submit the taxable income details, and the exemptions that you claim to be able to ascertain the income tax (I-T) liability.

Also Read:Advance Income Tax Payment For FY18: Last Date, Details, Mode Of Payment

6. Once you submit the income details, the system will tell you the tax liability (if any) or the income tax return (if any), as the case may be.

7. Please be informed that the income tax department website also allows you to calculate your income tax (I-T), to update PAN (permanent account number), to link aadhaar with your PAN, among other things.

8. You should check the form 26AS to ascertain your total income (on which tax has been paid). The form 26AS also carries the names of deductors (who have deducted TDA and deposited the tax with the department) and their tax deduction account numbers.

9. If you have any income generated in form of rental income from a property you own, you should make sure that you calculate tax by adding that income as well.

10. All the incomes that accrued in the respective financial years on account of interest income from a bank if it exceeds Rs 10,000 is also taxable.

GST one of the most complex, has second highest tax rate: World Bank report

GST one of the most complex, has second highest tax rate: World Bank report

GST is one of the most complex with the second highest tax rate in the world among a sample of 115 countries which have a similar indirect tax system, says the World Bank

By Asit Ranjan Mishra

As many as 49 countries around the world have a single slab of GST while 28 countries use two slabs and only five countries including India use four nonzero slabs
As many as 49 countries around the world have a single slab of GST, while 28 countries use two slabs, and only five countries, including India, use four non-zero slabs.
The goods and services tax (GST) implemented by the Narendra Modi government from 1 July last year is one of the most complex with the second highest tax rate in the world among a sample of 115 countries which have a similar indirect tax system, the World Bank said in a report.

India’s GST structure has five tax slabs of 0, 5%, 12%, 18%, and 28%. Further, there are several exempted sales and exports are zero rated, which allows exporters to claim refund for taxes paid on inputs. Separately, gold is taxed at 3% rate, precious stones at 0.25%, while alcohol, petroleum products, stamp duties on real estate and electricity duties are excluded from the GST and continue to be taxed by the state governments at state-specific rates.

As many as 49 countries around the world have a single slab of GST, while 28 countries use two slabs, and only five countries, including India, use four non-zero slabs. The countries that use four or more slabs of GST include Italy, Luxembourg, Pakistan and Ghana. Thus, India has among the highest number of different GST slabs in the world.

Finance minister Arun Jaitley has promised to reduce the number of GST slabs by merging 12% and 18% slabs once tax compliance improves and revenue buoyancy increases. The federal indirect tax body, the GST Council, in its November meeting last year in Guwahati, pruned the number of items under the 28% tax slab to only 50 from 228 items earlier.

The World Bank, in its bi-annual India Development Update released on Wednesday, said the introduction of GST has been accompanied by state administrations experiencing disruptions in initial days after GST’s introduction. This included lack of clarity on discontinuation of local taxes, for example, in Tamil Nadu where the state government devolved an entertainment tax to local governments in order to impose it over and above a 28% GST. To preserve revenue collections, Maharashtra has also increased motor vehicles tax to compensate for losses due to GST.

There also have been reports of an increased administrative tax compliance burden on firms and a locking-up of working capital due to slow tax refund processing, the World Bank said. “High compliance costs are also arising because the prevalence of multiple tax rates implies a need to classify inputs and outputs based on the applicable tax rate. Along with the need to apply the correct rate, firms are required to match invoices between their outputs and inputs to be eligible for full input tax credit, which increases compliance costs further,” it added.

However, the World Bank said while international experience suggests that the adjustment process can affect economic activity for multiple months, the benefits of the GST are likely to outweigh its costs in the long run. “Key to success is a policy design that minimizes compliance burden, for example by minimizing the number of different rates and limiting exemptions, with simple laws and procedures, an appropriately structured and resourced administration, compliance strategies based on a balanced mix of education and assistance programs and risk-based audit programs,” it said.

The Bank advocated for a nuanced communications campaign to convey the various aspects of the new system of GST among businesses, consumers and key intermediaries, such as tax practitioners, as well as among the tax administration and the political class

आधार से मोबाइल-बैंक अकाउंट लिंक करने पर सरकार नहीं बना सकती दबाव, SC ने बढ़ाई समय सीमा

आधार से मोबाइल-बैंक अकाउंट लिंक करने पर सरकार नहीं बना सकती दबाव, SC ने बढ़ाई समय सीमा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Updated Tue,
13 Mar 2018 05:38 PM IST

अब 31 मार्च तक आपको अपना पासपोर्ट, मोबाइल सिम, बैंक अकाउंट को आधार से लिंक कराने में सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट का आधार पर पूरा फैसला आने तक सरकार किसी तरह की कोई डेडलाइन जारी नहीं कर सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा है कि सब्सिडी के लिए आधार जरूरी रहेगा।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा
केंद्र सरकार ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि वो फिलहाल 31 मार्च की तारीख को आगे बढ़ा सकती है। अभी बैंक अकाउंट, पैन कार्ड, मोबाइल और अन्य सभी सोशल सिक्युरिटी स्कीम के लिए आधार को लिंक कराने की आखिरी तारीख 31 मार्च है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच ने फैसला देते हुए कहा है कि सरकार किसी भी व्यक्ति को आधार लिंक कराने के लिए पूरा फैसला आने तक बाध्य नहीं कर सकेगी।

Income tax returns (ITR) filing: Top mistakes that can be very costly

Income tax returns (ITR) filing: Top mistakes that can be very costly

Income tax returns (ITR) filing: Top mistakes that can be very costly

Income tax returns (ITR) filing: Although, it is a continuous process, but many are found scrambling towards the end of the financial year to do last minute documentation and meet the March 31st tax filing deadline. To avoid unnecessary worries and mistakes, it is better to keep things in order and be organised before the tax filing season begins.

Income tax returns (ITR) filing: Tax planning is a continuous and meticulous process. It is always advisable to keep things in order before the tax filing season begins. For many, tax planning is no less than a nightmare. Although, it is a continuous process, but many are found scrambling towards the end of the financial year to do last minute documentation and meet the March 31st tax filing deadline. To avoid unnecessary worries and mistakes, it is better to keep things in order and be organised before the tax filing season begins.

Paying Health Insurance Premium In Cash

Tax deduction under Sec 80 (D) allows an individual to lower the taxable income by Rs 25,000 (for non-senior citizens). This deduction can be claimed for Health Insurance premiums paid for self, spouse, children and parents but only if the premium is paid through a non-cash mode such as Cheque, online etc. In the last-minute rush, people often make the mistake of paying through cash and so end up paying higher tax despite buying ahealth policy. This should be avoided to avail the benefit under Sec 80 (D).

Documents Not In Order

You should keep all your documents in order so that you don’t miss on mentioning important financial transactions, which are eligible for tax benefit. At the time of filing the ITR you may need these document, and thereafter such documents can be used as a proof if a clarification is sought. While filing ITR you may need documents such as PAN and Aadhaar card details, statement of all your bank accounts, TDS certificate, form 16, pension certificate, salary slips, rent agreement, rent receipts, travel related bills, interest earned from bank accounts and investments etc.

Investing In Non-Tax Saving Instruments

Your Investment should not be based on hearsay. If your investment goal is to earn good returns as well as save tax, then you must be well versed about the instruments you are investing in. It is wise to consult your tax advisor for an appropriate instrument, depending on your requirements. For example, ELSS wins as a tax saving bet over an investment in SIP in equity fund.

Waiting For Tax Saving Investment Till Last Minute

Some people do not plan tax saving in advance and invest in any available tax saving instrument in the last minute. This may result in selection of inefficient tax saving product along with putting a financial burden to arrange funds. You should plan and invest money to save tax from the beginning of the financial year. It gives you flexibility and also better options to select appropriate tax saving products.

Tax Saving Not In Sync With Financial Planning

Tax saving steps must be taken in sync with financial planning. For example, you require a fund to accomplish a financial goal after 3 years, but you overlook this requirement and invest money in PPF or NPS to save tax, which carry a longer lock-in period. So, you should consider liquidity, return, risk and other aspects in sync with your financial objectives before you make a decision to invest and save tax.

You must focus on tax saving options at regular intervalsand avoid considering it as one-time process. Try to file the tax well before the last date to avoid penalty and do not hesitate to consult with your tax consultant if you have any confusion.

सरकार को संदेह- कारोबारियों ने छिपाया 34,000 करोड़ का जीएसटी, छानबीन में जुटा टैक्स डिपार्टमेंट

सरकार को संदेह- कारोबारियों ने छिपाया 34,000 करोड़ का जीएसटी, छानबीन में जुटा टैक्स डिपार्टमेंट

Updated Mar 12, 2018,
नई दिल्ली
जुलाई-दिसंबर के बीच जीएसटी नेटवर्क में फाइल रिटर्न्स का प्राथमिक विश्लेषण करने पर संदेह पैदा हो रहा है कि कारोबारियों ने 34,000 करोड़ रुपये की टैक्स देनदारी छिपा ली है। यह मुद्दा शनिवार को आयोजित जीएसटी काउंसिल मीटिंग में उठा। अब उन कारोबारियों को नोटिस भेजा जा सकता है कि जिन्होंने जीएसटी रिटर्न्स- 1 और जीएसटीआर- 3बी में अलग-अलग देनदारी बताई है। जीएसटीआर- 1 का इस्तेमाल अभी मुख्य रूप से सूचना के मकसद से हो रहा है।

1 अप्रैल से ई-वे बिल, GST काउंसिल की मुहर

एक सूत्र ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उन लोगों पर विशेष जोर दिया जाना है जिन्होंने दोनों रिटर्न फाइलिंग्स में बड़ा अंतर रखा है। कई मामलों में व्यक्तिगत करदाताओं की विस्तृत जानकारी का विश्लेषण करने के बाद परिणाम को राज्यों के साथ साझा किया जाएगा ताकि ‘संदेहास्पद’ लोगों पर कार्रवाई की जा सके। लेकिन, संदेह का सिर्फ यही कारण नहीं है। सीमा शुल्क विभाग ने रिटर्न्स के आंकड़े का विश्लेषण करने के बाद बताया है कि आयातित उत्पादों की कीमत बहुत कम बताई गई है। एक अधिकारी ने उदाहरण दिया कि हो सकता है 10,000 रुपये के मोबाइल फोन की कीमत 7,000 रुपये दिखाई गई हो। अधिकारियों को संदेह है कि ऐसा हर पायदान पर कम जीएसटी चुकाने के मकसद से किया गया।

GST रिटर्न की मौजूदा व्यवस्था 3 महीने बढ़ी
दरअसल, जीएसटी कलेक्शन अनुमान से लगातार कम रहे हैं क्योंकि सरकार टैक्स चोरी रोकने के विभिन्न पहलुओं को लागू करने में असफल रही है। इनमें खरीद-बिक्री की कीमत का पता लगाने के लिए इनवॉइस मैचिंग और फैक्टरियों से शोरूम तक सामान के पहुंचने की पूरी गतिविधि पर नजर रखने के लिए ई-वे बिल्स जैसे पहल शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि कई बिजनसमेन को लगा कि सरकार जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर- 3बी का मिलान नहीं करनेवाली। इस वजह से भी कारोबारियों ने दोनों में अलग-अलग आंकड़े भरे। हालांकि, टैक्स कंस्लटंट्स का कहना है कि दोनों में अंतर के उचित कारण भी हो सकते हैं क्योंकि टैक्स पेमेंट के वक्त कई महीनों से जमा इनपुट टैक्स क्रेडिट का इस्तेमाल मौजूदा अवधि के क्रेडिट के साथ किया जाता है।